दो संस्थानों पर 40000 रुपए का अर्थ दंड
2 साल बाद आया फैसला
बलौदाबाजार। अमानक अरहर दाल और अमानक मिर्च पाउडर के विक्रय के संबंध में अनावेदकों का जवाब समाधानकारक नहीं पाया गया। अतः भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा का उल्लंघन करने का दोषी पाया जाता है। यह अधिनियम की धाराओं के तहत दंडनीय है।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एवं न्याय निर्णयन अधिकारी ने 31 जुलाई 2024 को जब यह फैसला सुनाया, तो दोनों संस्थानों के संचालक सन्न रह गए। अप्रत्याशित था यह फैसला दोनों के लिए लेकिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पुख्ता प्रमाण के सामने सारे तर्क अमान्य कर दिए गए। अब प्रशासन उन 50 मामलों पर फैसले की प्रतीक्षा में है, जिन पर सुनवाई जारी है।
संदेहास्पद थी गुणवत्ता
राजेश दाल भंडार, ग्राम जुनवानी, तहसील पलारी। संचालक वेदराम बंजारे। खाद्य सुरक्षा अधिकारी उमेश वर्मा ने जांच टीम के साथ 19 जुलाई 2022 को संस्थान की जांच की थी। प्रारंभिक निरीक्षण में अरहर दाल संदेहास्पद पाई गई। लिहाजा गुणवत्ता परीक्षण के लिए संस्थान संचालक से विधिवत सहमति ली और नियमानुसार मात्रा में अरहर दाल के सैंपल लिए गए। राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में जांच के बाद 22 दिसंबर 2022 को अरहर दाल अमानत घोषित कर दी गई।
फैसला- दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एवं न्याय निर्णयन अधिकारी ने जो फैसला सुनाया, उसके अनुसार संस्थान संचालक पर 25000 रुपए का अर्थ दंड लगाया गया है।
आशंका थी मिलावट की
कमलेश किराना स्टोर्स, मंडी रोड, बलौदा बाजार। संचालक सागर साहू। 17 सितंबर 2021 को संस्थान की औचक जांच की गई। सब कुछ सामान्य नजर आया लेकिन मिर्च पाउडर, जो खुले में बेचा जा रहा था, उसमें मिलावट की आशंका थी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी उमेश वर्मा ने विधिवत मिर्च पाउडर का सैंपल लिया। सील बंद यह नमूना राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला रायपुर भेजा गया। जांच उपरांत 23 अक्टूबर 2021 को मिर्च पाउडर अमानक प्रमाणित कर दिया गया।
फैसला- दोनों पक्षों के तर्क सुनने और दस्तावेजों पर गौर करने के बाद अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एवं न्याय निर्णयन अधिकारी ने संस्थान संचालक को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाते हुए 15000 रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया।
लगभग 50 मामले विचाराधीन
न्याय की गति भले ही धीमी हो लेकिन दो मामलों में आए फैसले खाद्य एवं औषधि प्रशासन के लिए उम्मीद जगाने वाले माने जा रहे हैं। यह आस उन लगभग 50 मामलों को लेकर है, जिनकी सुनवाई फिलहाल सक्षम न्यायालय में चल रही है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी उमेश वर्मा दोनों मामले में आए फैसले से संतुष्ट हैं और कहते हैं कि फैसले से पारदर्शी कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।