कृषि विभाग के खंड मुख्यालयों में विक्रय के लिए उपलब्ध

ऑनलाइन खरीदी की भी सुविधा

बलौदा बाजार। फसल अवशेष का प्रबंधन अब बेहद आसान विधि से किया जा सकेगा। जरूरत होगी केवल गुड़, बेसन, पानी और उस कैप्सूल की, जिसे डी-कंपोजर के नाम से जाना जाता है। दिलचस्प यह कि, इस विधि को अपनाने के बाद हासिल होगी ऐसी खाद, जिसकी मदद से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकेगी।

खरीफ फसल की कटाई युद्धस्तर पर चल रही है। हार्वेस्टर की मदद से हो रही कटाई और मिसाई का काम तो किया जा रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया में छूट रहे फसल अवशेष, ऐसी चुनौती बन रहे हैं, जो आने वाले दिनों में धुआं और आग के रूप में दिखाई देंगे। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित होगा, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान पहुंचेगा। लिहाजा इस संकट से निपटने के लिए ऐसी विधि पहुंचने के लिए तैयार है, जो इन दोनों गंभीर समस्या से सक्षम तरीके से निपटने में मदद करेगी।


जानें डी-कंपोजर कैप्सूल को

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा द्वारा विकसित यह कैप्सूल,फसल अवशेष से खाद बनाने की पूरी प्रक्रिया के बीच मध्यस्थ का काम करता है। महज चार कैप्सूल, 1 एकड़ की फसल के अवशेष का प्रबंधन करने में सक्षम है। इससे बनने वाली खाद उसी खेत में पलटने के बाद प्राकृतिक खाद का काम करती है। इस प्रक्रिया से बनी यह खाद कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को ना केवल बनाए रखती है बल्कि बढ़ाने में भी सहायता करती है।


ऐसे बनाएं डी-कंपोजर

150 ग्राम पुराना गुड़ और 50 ग्राम बेसन, 5 लीटर पानी में मिलाएं। इस घोल के बनने के बाद, इसमें डी-कंपोजर के 4 कैप्सूल डालें। इस काम के होने के बाद यह घोल 5 दिन धूप में सुखाने के लिए रखें। छठवें दिन, इसमें एक मोटी परत जमी सी दिखाई देगी। इसे अधिकतम 200 लीटर और न्यूनतम 100 लीटर पानी में डालें। इसके बाद यह तैयार है फसल अवशेष पर छिड़कने के लिए, जिसकी मदद से यह समस्या दूर की जा सकेगी।
मिलेंगे यहां

मिलेंगे यहां

अवशेष प्रबंधन के लिए जो विधि सुझाई जा रही है। उसके लिए जरूरी डी-कंपोजर कैप्सूल, विभाग के जिला मुख्यालय में विक्रय के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा खंड कृषि अधिकारी कार्यालय से भी इसे खरीदा जा सकता है। विक्रय मूल्य 35 रुपए निर्धारित किया गया है। इसकी खरीदी संबंधित कंपनी से ऑनलाइन भी की जा सकती है।

डी-कंपोजर कैप्सूल, फसल अवशेष से खाद बनाने में मदद करता है। यह उन किसानों की मदद करेगा जो हार्वेस्टर से फसल की कटाई करवाते हैं और किसी कारणवश अवशेष का प्रबंधन नहीं कर पाते।

  • एस आर पैकरा, उप संचालक, कृषि, बलौदा बाजार