फसल अवशेष प्रबंधन में मिलेगी मदद

बलौदा बाजार। अब ‘नरई’ का उपयोग चारा के रूप में किया जाएगा। योजना को धरातल तक लाने के लिए जिले को दो बेलर मशीन मिलने जा रही है। इसकी मदद से फसल कटाई के बाद, बची नरई की कटाई और बंधाई की जाएगी। आगे चलकर यही बेलर मशीन, किसान भी खरीद सकेंगे। जिससे फसल अवशेष का प्रबंधन समुचित तरीके से किया जा सकेगा।

गोठानों में अब चारा की दिक्कत नहीं होगी। पैरादान जैसी योजना के बाद गोठानों में बेलर मशीन दिए जाने की योजना परवान चढ़ने लगी है। इसी कड़ी में जिले को दो बेलर मशीन, बहुत जल्द मिलने जा रही है। जिसकी मदद से फसल की कटाई के बाद बची ‘नरई’ को काटा जाएगा और उन्हें बंडल का रूप दिया जा कर, तय जगह पर पहुंचाया जा सकेगा। इसके अलावा दूसरे उपाय साथ-साथ जारी रहेंगे।


जानें क्या है बेलर मशीन

ट्रैक्टर चलित, बेलर मशीन ऐसा यंत्र है जो फसल की कटाई के बाद बची नरई को जमीन की सतह से काटता है। एकत्रीकरण और बंडल बनाने का काम भी साथ-साथ करता है। इससे इस काम में लगने वाले समय की ना केवल बचत होती है बल्कि फसल अवशेष का प्रबंधन और उपयोग भी निश्चित किया जा सकता है।


होगा यह लाभ

फसल अवशेष का प्रबंधन सही तरीके से हो सकेगा। इसके अलावा सामान्य वायु की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी। खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को भी खत्म किया जा सकेगा। सबसे लाभ यह होगा कि भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और मित्र कीट भी अपनी मौजूदगी बनाए रख सकेंगे।


जिले में आ रही बेलर मशीन

बेलर मशीन की उपयोगिता के सामने आने के बाद राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक जिले के लिए दो बेलर मशीनें स्वीकृत हुई है। इनकी मदद से ना केवल फसल अवशेष प्रबंधन का उद्देश्य पूरा किया जा सकेगा बल्कि गोठानों को चारा की समस्या दूर करने में भी मदद मिलेगी। मंजूरी के बाद कृषि विभाग बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

गोठानों में चारा की उपलब्धता के लिए जिले को दो बेलर मशीन मिलने जा रही है। इसकी मदद से काटी गई फसल के बाद बची, नरई का प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

  • एस. आर. पैकरा, उपसंचालक, कृषि, बलौदा बाजार