12 भाषाओं में किसानों को मोबाइल पर मिलेगी खेती-किसानी की जानकारी

आई एम डी और इसरो की मदद से टेक महिंद्रा मेकर्स टीम का नया ऐप

बिलासपुर। मिट्टी की सेहत कैसी है? मौसम कैसा रहेगा? नवीनतम तकनीक के माध्यम से क्रॉप पैटर्न के तरीक़े अपनाने पर क्या लाभ होंगे? जैसी जानकारी के लिए अब किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। यह सभी जानकारी एंड्राइड मोबाइल या गूगल विंडोस पर घर बैठे मिलेगी।

‘आत्मनिर्भर कृषि’ एप है नाम, उस नई सुविधा का जिसे टेक महिंद्रा मेकर्स टीम ने तैयार किया है। इसमें भारतीय मौसम विभाग और इसरो द्वारा दी गई खेती- किसानी से संबंधित सभी जानकारियां किसी भी समय ली जा सकेंगी। मौसम का बदलता तेवर और फसल परिवर्तन के दौर में किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई प्रबंधन, सहित और भी कई तरह की परेशानी हर सत्र में आती रही है। इसे ध्यान में रखते हुए नई सुविधा किसानों तक पहुंचने जा रही है।


मिलेगी यह मदद

‘आत्मनिर्भर कृषि’ एप में मौसम आधारित क्रॉप पैटर्न, छोटे किसानों के लिए मशीनीकरण से होने वाले लाभ की जानकारी उपलब्ध होगी। पराली जलाने जैसे फैसले से होने वाले पर्यावरण के नुकसान भी बताए जाएंगे। उपलब्ध संसाधन को कैसे स्थाई बनाया जाए। इसकी भी सलाह होगी। पानी प्रबंधन और भूजल स्तर कैसे बचाया जा सकता है यह भी बताया जाएगा।


इसलिए नया ऐप

हमारा किसान विरासत में मिले, ज्ञान और अनुभव के आधार पर खेती करता है। यह महत्वपूर्ण और मजबूत आधार है लेकिन इस खजाने में केंद्रीय दृष्टिकोण अब तक नहीं है। नए ऐप में यह भी होगा, साथ ही स्थानीय विशेषज्ञता और संबंधित संवाद, नई तकनीक एवं दृष्टिकोण भी होंगे। तकनीक पठन-पाठन और अनुभव की जानकारी को किसानों से साझा करने जैसी सुविधा भी मिलेगी।


12 भाषाओं में निशुल्क जानकारी

‘आत्मनिर्भर कृषि’ एप में किसान, स्टार्टअप, कृषि विज्ञान केंद्र, स्व सहायता समूह और गैर सरकारी संगठनों को एंड्राइड मोबाइल और विंडोज के गूगल प्ले स्टोर पर 12 भाषाओं में निःशुल्क जानकारी मिलेगी। बता दें कि टेक महिंद्रा मेकर्स टीम द्वारा विकसित इस नए ऐप में आईएमडी और इसरो द्वारा एकत्रित साक्ष्य आधारित जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी।

स्मार्ट फोन पर एक टैप से मिलेगी जानकारी

किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भर कृषि एप लांच किया गया है। खेती- किसानी से संबंधित जानकारी देने के लिए देश में अभी कई प्लेटफार्म काम करते हैं। नए ऐप पर आने के बाद किसानों को खेती-किसानी की जानकारी के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म पर भटकना नहीं होगा। किसान अपने स्मार्टफोन पर एक टैप से पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे।

  • डा.एन के चौरे, प्रमुख वैज्ञानिक, (सांख्यिकी) बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर