उर्वरक और बीज दुकानें भी सांसत में
रायपुर। बारिश पर ब्रेक का चौथा दिन। अब खतरा मंडराता दिखाई देता है, उन खेतों में जहां अंकुरित हो चुके बीज तत्काल पानी मांग रहे हैं। संकट खेतों से होता हुआ उन कृषि दुकानों तक पहुंच चुका है, जहां कीटनाशक और रासायनिक खाद की बड़ी मात्रा भरपूर बारिश के इंतजार में है।
तीखी धूप। बोनी के बाद बीज की स्थिति जानने की कोशिश में लगा किसान अब हताश होता नजर आ रहा है क्योंकि बादल बरस नहीं रहे हैं। यह परेशानी गांव से होती हुई शहर तक फैलती नजर आती है। तेज धूप। उमस भरी गर्मी के बीच कृषि दवा दुकानों में सन्नाटा छाने लगा है तो उर्वरक दुकानें भी किसानों की राह देख रहीं हैं। बड़ा सवाल, आखिर बरसने वाले बादल कब आएंगे ? किसानों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि, अंकुरित हो रहे बीज को पानी नहीं मिला तो ये खराब हो जाएंगे और दोबारा बोनी करनी पड़ेगी।
चिंता में अन्नदाता
महंगा बीज। महंगी खाद। महंगा कल्टीवेशन चार्ज से टूट चुके किसानों की इस समय सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि दो-तीन दिन में अच्छी बारिश ना हुई तो, जमीन की सतह पर पड़े बीज तो बचे जाएंगे लेकिन भीतर जा चुके बीज को खत्म होने से रोका नहीं जा सकेगा। याने फिर से बोनी करनी पड़ेगी। यह दोहरी मार होगी।
यहां भी इंतजार
उर्वरक और कृषि दवा दुकानों में भी चिंता, हर कोने तक फैल चुकी है। उर्वरक और खरपतवार नाशक दवाओं की भरपूर मात्रा इसलिए रखी गई है क्योंकि मौसम को इस बार साथ देने वाला बताया गया था। यह सब, उस किसान का रास्ता देख रहे हैं, जो भरपूर मांग के साथ आने वाला था। याने हर जगह बरसने वाले बादल की राह देखी जा रही है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
मौसम का जैसा रूख बना हुआ है, उसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि नमी वाली भूमि पर बोनी की गई है तो अंकुरित बीज के खराब होने की आशंका है लेकिन जो बीज सतह पर ही हैं, उनके लिए यह आशंका गलत होगी। इधर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले 2 दिन ऐसे ही बने रहेंगे। लोकल सिस्टम के असर से बारिश हो सकती है लेकिन भरपूर बारिश की संभावना नहीं है।
नमी ले चुके बीज के खराब होने की आशंका है लेकिन सतह पर पड़े बीज बच जाएंगे। किसान चिंता ना करें।
- डॉ ए. के. सरावगी, प्रोफेसर एंड हेड जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर