बेम्बूसा बालकोआ प्रजाति के बांस का किया उपयोग


सतीश अग्रवाल

बिलासपुर। नेटरेक्स पीथमपुर में क्रेश टेस्ट में सफल। सीबीआरआई रुड़की से मिली क्लास वन रेटिंग। अब भारतीय सड़क कांग्रेस  ने भी दे दी है मान्यता क्रैश बैरियर को।

बेम्बूसा बालकोआ प्रजाति के बांस से बने बांस टावर के बाद महाराष्ट्र के वानी – वरोरा नेशनल हाईवे पर 200 मीटर की लंबाई में देश का पहला बांस से बना क्रैश बैरियर आकार ले चुका है। भव्य सृष्टि उद्योग सिमगा की यह उपलब्धि न केवल पर्यावरण- संवेदनशील तकनीक का उदाहरण है बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को सशक्त बनाती है।

ऐसे दी मजबूती

क्रेश बेरियर में बेम्बूसा बालकोआ नामक प्रजाति के बांस का उपयोग किया गया है। वैक्यूम प्रेशर इम्प्रिगेशन तकनीक से उपचारित करने के बाद  इस बांस को एच डी पी ई से कोट किया गया है। जिससे यह अधिक मजबूत और दीर्घकालिक हो गया है। इस तकनीक से तैयार बांस का पुनर्चक्रण मूल्य स्टील की तुलना में अधिक है। यह तकनीक इस बांस को पर्यावरण के अनुकूल बनाती है।

सुरक्षा परीक्षण में सफल

नेटरेक्स- पीथमपुर में क्रेश टेस्ट में यह सफल रहा। सीबीआरआई- रुड़की में हुई जांच में इसे क्लास-वन रेटिंग मिली। आई आर सी याने भारतीय सड़क कांग्रेस ने सूक्ष्म परीक्षण के बाद इस क्रेश बेरियर को मान्यता दे दी है। मालूम हो कि भव्य सृष्टि उद्योग इससे पहले बेमेतरा जिले के कठिया गाँव में 132 फीट ऊंचा बांस का टावर बना चुका है। जिसका उद्दघाटन केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी 18 सितम्बर 24 को कर चुके हैं।

स्थायी एवं नवाचारपूर्ण समाधान

भव्य सृष्टि उद्योग की नई पहल यह सिद्ध करती है कि परंपरागत भारतीय संसाधन जैसे बांस, आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर स्थायी एवं नवाचारपूर्ण समाधान दे सकते हैं। इस प्रकार के प्रयास न केवल जलवायु परिवर्तन के इस दौर में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हैं बल्कि देश के हरित बुनियादी ढांचे की मजबूती की दिशा में अग्रणी बनाए रखने की राह खोलते हैं।

हरित बुनियादी ढांचे की ओर नई राह

बेम्बूसा बालकोआ जैसे उच्च घनत्व वाले बांस की संरचनात्मक क्षमता और इसकी पर्यावरणीय अनुकूलता इसे बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए एक श्रेष्ठ विकल्प बनाती है। भव्य सृष्टि उद्योग द्वारा विकसित यह क्रैश बैरियर न केवल नवाचार का प्रतीक है, बल्कि यह प्रमाणित करता है कि बांस जैसे पारंपरिक संसाधनों में भी आधुनिक तकनीकी उपयोग की असीम संभावनाएँ हैं। इस पहल से देश में हरित निर्माण और कार्बन न्यूट्रल भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर