अगरबत्ती और धूपबत्ती उत्पादों ने लगाई जुगत
बिलासपुर। वजन तो घटा दिया लेकिन कीमत कम नहीं की। विरोध में आवाज उठी पर करीब आते पर्व और पूजा-पाठ के दिनों को देखते हुए संस्थानों ने अगरबत्ती और धूपबत्ती में यह नई व्यवस्था स्वीकार कर ली है।
मासिक ग्राहकों को तो जैसे- तैसे समझा लिया जा रहा है लेकिन सिर्फ अगरबत्ती और धूपबत्ती खरीदने वाले उपभोक्ताओं को समझाने में पसीने छूट रहे हैं क्योंकि साथ-साथ मात्रा कम होने की शिकायतों का आना चालू हो चुका है।

बंबूसा टुलडा बेहद गर्म
अगरबत्ती निर्माण में प्रथम सामग्री बांस की कीमत में जोरदार वृद्धि। वैसे बंबूसा बालकोवा, बंबूसा वल्गैरिस, बंबूसा टुलडा और मेलोकैना वैक्सीलेरा का नाम सबसे ज्यादा आता है लेकिन इकाइयां बंबूसा टुलडा का उपयोग इसलिए ज्यादा करती हैं क्योंकि इससे गोल और चौकोर दोनों प्रकार की अगरबत्तियां बनाई जा सकतीं हैं। कीमत इसलिए बढ़ रही है क्योंकि इस प्रजाति के बांस वन तेजी से कम हो रहे हैं।

वृद्धि इनमें भी जोरदार
अगरबत्ती निर्माण ईकाइयों का कहना है कि जरूरी कच्ची सामग्रियां जैसे परफ्यूम, जरूरी मसाले की कीमतों में जोरदार इजाफा हुआ है। इसके अलावा देश स्तर पर मजदूरी दर बढ़ने का असर इस क्षेत्र पर भी पड़ा है। लगभग दोगुनी मजदूरी देनी पड़ रही है क्योंकि पूजा- पाठ और पर्व के दिन चालू हो चले हैं। यह दीपावली तक बने रहेंगे।

अगरबत्तियों में 25 ग्राम वजन वाले छोटे पैक खूब खरीदे जाते हैं। अब इसमें 5 ग्राम की कटौती कर दी गई है जबकि कीमत पूरे 25 ग्राम की ली जा रही है। मंदिर-देवालयों एवं संस्थानों में 200 ग्राम वजन वाली पैकिंग की डिमांड रहती है। इसमें सीधे 50 ग्राम घटा दिया गया है। कीमत पूर्व स्तर पर ही है। कम ही खरीदी जाती हैं धूप बत्तियां लेकिन नई व्यवस्था इस पर भी प्रभावी की जा चुकी है। जिसके तहत् 200 ग्राम की धूप बत्ती का पैक 150 ग्राम किया जा चुका है।
5 से 50 ग्राम कम