हजार साल पुरानी महामाया देवी मंदिर रतनपुर के संरक्षित होने की कहानी भाग दो….
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर स्थित करीबन हजार साल पुरानी महामाया देवी मंदिर ऐतिहासिक महत्व की है। निजी स्वामित्व/सर्वराकार वाले महामाया देवी मंदिर को सरकारी संरक्षण देने की पहल देश की आजादी के करीब 29 साल बाद 18 दिसंबर 1976 को कार्यालय वृत्ताधिकारी पुरात्तव एवं संग्रहालय मध्यप्रदेश जबलपुर वृत जबलपुर (म.प्र.) द्वारा बेनीराम शर्मा सर्वराकार महामाया मन्दिर देवी रतनपुर को लिखे गए पत्र से शुरू हुई। जबलपुर से लिखा गया पत्र पखवाड़े भर बाद 3 जनवरी 1977 को मंदिर के पुजारी बेनी राम शर्मा को को मिला। करीब पखवाड़े भर बाद 17 जनवरी 1977 को बेनी राम शर्मा ने भी वृत्ताधिकारी पुरातत्व एवं संग्रहालय जबलपुर वृत्त जबलपुर को महामाया मंदिर रतनपुर जिला बिलासपुर को संरक्षित स्मारक घोषित किये जाने मिले का लिखित जवाब पेश किया। इसमें उन्होंने पत्र से मिली सूचना पर खुशी जताई।
पढ़िए पत्र की तहरीर तस की तस
प्रति
वृत्ताधिकारी
पुरातत्व एवं संग्रहालय
जबलपुर वृत्त जबलपुर
विषय : महामाया मंदिर रतनपुर जिला बिलासपुर संरक्षित स्मारक घोषित किये जाने बाबत् का लिखित उत्तर
महोदय
1. निवेदन है कि महामाया मंदिर को संरक्षिण स्मारत घोषित करने बाबत् पत्र दिनांक 18.12.76 हमें दिनांक 3.1.77 को प्राप्त हुआ
2. यह कि हमें यह जान कर अत्यन्त हर्ष हुआ कि महामाया देवी मंदिर को सरकार संरक्षित स्मारक घोषित करने जा रही है। इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
3. यह कि मैं एक वृद्ध व्यक्ति हूं। इसलिए मेरी आजीविका बहुत कुछ उक्त मंदिर की आमदनी से चलती है अतः मै यह चाहता हूं कि शासन उक्त मंदिर को सरक्षित स्मारत घोषित कर दे पर जहां तक स्वामित्व विषय है वह मेरे ही नाम से रहे।
अतः महोदय से निवेदन है कि उक्त बातों की ओर ध्यान देते हुए स्वामित्व मेरे ही नाम में रखकर संरक्षित स्मारक घोषित करने की दया करे।
दिनांक : 17.1.77 (बेनीराम शर्मा)
सर्वराकार
महामाया देवी मंदिर ,
मुकाम गोड़पारा बिलासपुर ।
क्रमशः जारी ….3….
बताएंगे क्या हुआ मध्यप्रदेश एंशियेट मान्युमेट्स एंड आर्केलाॅजीकल साइट्स एंड रिमेन्स एक्ट ( 1964 ) के तहत
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