रतनपुर नगर पालिका परिषद आम चुनाव

रतनपुर निकाय चुनाव के इतिहास का सबसे व्यापक, भारीभरकम, उत्तेजनपूर्ण और कोलाहल से भरा चुनाव प्रचार आज शाम 6 बजे थम गया। सामान्य सीट के होने से दो मुख्य पार्टी के आलावा भी आधा दर्जन से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं, सभी के व्यापक प्रचार नें मानो शहर को मथ कर रख दिया। हर मिनिट पर तेज़ डी जे और लाउडस्पीकर से लबरेज प्रचार वाहनों का ताता नगर के चप्पे-चप्पे पर प्रत्याशी के यशोगान और वादों से गूँजता रहा।
11 फरवरी को मतदान के पूर्व हर प्रत्याशी मतदाता के द्वार पहुंच कर उन्हें रिझाने के प्रयास में एड़ी चोटी का जोर लगाता दिखाई पडा। दो प्रमुख दलों के प्रत्याशी के आलावा दोनों ही पार्टियों के विद्रोही उम्मीदवारों नें अपनी सशख्त दस्तक से चुनाव को बहुकोणीय बना दिया है।
जातीय समीकरण का खेल इस बार प्रत्याशी के हार जीत की सबसे बड़ी वजह बन कर उभरेगा। एक, दो को छोड़ कर लगभग सारे ही उम्मीदवार अपने जातीय समीकरण की बिसात पर खेलते नज़र आए हैं।
बड़े बड़े राजनीतिक पंडितों का सर चकरा देने वाले इस बार के निकाय चुनाव में परिणाम को लेकर कोई भी सही आंकलन नहीं कर पा रहा है। जनता भी बहुकोणीय मुकाबले और जातीय समीकरण के वजह से विभाजित और हटप्रभ नज़र आ रही है। मजेदार बात ये भी है कि लगभग सारे प्रमुख दावेदार स्कूल कॉलेज की राजनीति की उपज हैँं। जिनमे से लगभग सभी के पास गहरी राजनीतिक दावपेंच की समझ और निकाय / दल के मुख्य पदों का अनुभव भी है। ऐसे में इस बार का चुनाव खंदक की लड़ाई में तब्दील हो गया है। हालांकि आज शाम से चुनाव प्रचार थम गया है, मगर शेष दो दिन का सबसे शातिर दौर अभी बाकी है। वार्डो में कार्यकर्ता, युवा, महिला समूह के साथ मीटिंग और सामाजिक बैठक का दौर अब चुनाव के असली रंग और तासीर की ओर बढ़ेगा, जहां मान-मनऊवल, लेन-देन और अद्धा-पउआ की चकचौंध में नागरिक मूल्यों की आँखे चाउंधिया जाएंगी!
कुल मिलाकर नगर में इस बार के हाई टेक और हाई प्रोफ़ाइल निकाय चुनाव के परिणाम के लिए परीक्षा करनी होगी। फिलहाल बस इतना कहा जा सकता है की लगभग 6 प्रत्याशी (2 प्रमुख दल और चार निर्दलीय ) की इस दौड़ में जो जातीय समीकरण और हार्ड कोर पार्टी मतदाताओं के साथ तटस्थ मतदाताओं को मैनेज कर पायेगा जीत उसी की होगी ! परिणाम बेहद नजदीकी और चौकाने वाला होगा।
साभार विकास मिश्रा के फेसबुक वॉल से