नगरीय निकाय रतनपुर आम चुनाव
बुद्धिसागर सोनी
बीती ताहि बिसार दें, आगे की सुधि लें…
तईहा के गोठ ल बईहा लेंगे। जेन होगे तेन होगे। रतनपुर के माथा म जेन अउ जतका कलंक लगना रहिस लग गे। आंसो 2025 म नगर के मतदाता ला “रईया रतनपुर” “लहुरी काशी” “धार्मिक नगरी ” के भाग्य बदले के अवसर मिले हे। मताधिकार “संप्रसंलोग” के पहली अधिकार आवय। पच्चीस बछर के कुशासन ला तिलांजलि दे के नवा बिहान के निर्माण करे के समय आ गे हे। अपन मताधिकार के उपयोग दलगत राजनीति ले ऊपर उठ के नगर विकास बर करे के समय हे।
“मतदान करव जी मतदान करव ना,
थोरकन गुनव फिरव जी मत-दान करव ना
मतदान करव जी मत-दान करव ना”
अध्यक्ष पद के लिए 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। लोकलुभावन वायदों के पुलिंदे और विकास की अवधारणायें सभी प्रत्याशी के मेनिफेस्टो में शामिल हैं। दोनों प्रमुख पार्टियों ने सोच समझकर अपने सेनापतियों का चयन किया है। भाजपा ने नगर के प्रथम भाजपाई परिषद में उपाध्यक्ष रह चुके लवकुश कश्यप को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने वार्ड क्रमांक 4 के भूतपूर्व कांग्रेसी पार्षद शीतल जायसवाल पर भरोसा जताया है। दोनों पार्टियों में टिकट मांगने वालों की लंबी कतार थी। लिहाजा पार्टी टिकट से वंचित रह गये कद्दावर और मुजावर किस्म के असंतुष्टों ने बगावती रुख अपनाया और निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में ताल ठोंक दिया है। दोनों प्रमुख दलों में कद्दावरी किस्म के असंतुष्टों का कद टिकट पाने वाले प्रत्याशी के कद से उन्नीस-बीस वाला है। ऊपर से तुर्रा यह कि कई निर्दलीय मुजावर इन दोनों पर भारी पड़ रहे हैं।
ऊपर का फलसफा केवल अध्यक्षीय आसंदी पर सटीक बैठता हो ऐसा नहीं है, बल्कि वार्डों के पार्षदीय आसंदी में भी असंतुष्टों का दांव-पेंच संतुष्टों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। भीतरघात की संभावनाएं दोनों तरफ प्रबल है। फिलहाल प्रत्याशियों के शोरगुल भरे चुनावी प्रचार प्रसार के बीच मतदाता अपनी भूमिका तलाश रहा है। मतदाता सोच रहा है कि हर बार की इस बार भी परिषद की सोच ” राशन तालाब और भुईयां” के इर्द गिर्द चक्कर काटता ना रह जाये।
लेखक साहित्य सेवक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं आलेख लोक मीमांसा पर आधारित उनके निजी विचार है। इसमें कोई भी संपादकीय हस्तक्षेप नहीं है।