किसान उत्पादक संगठनों व किसानों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय बिलासपुर का आयोजन
बिलासपुर। गौठान रक्षक बनकर हमारी रक्षा कर रहा है। पूरा देश छत्तीसगढ़ मॉडल की तरफ देख रहा है। आज पूरा विश्व, युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, जिसके कारण हमारे समक्ष वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है। गेहूं, मक्का और चावल अहम खाद्य पदार्थ हैं। साल 2022 में इन खाद्य पदार्थों की कमी से हमारे समक्ष संकट के बादल मंडरा सकते हैं। इस परिस्थिति में किसानों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, हमारे सिर पर अन्नदाता का ताज है। वैश्विक खाद्य संकट की दशा में एपीडा की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। यह बात प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के कृषि, योजना और ग्रामीण विकास सलाहकार ने कही।
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय बिलासपुर में छत्तीसगढ़ राज्य के किसान उत्पादक संगठनों, कृषकों द्वारा उत्पादित कृषि व जनजातीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण एवं बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “कृषि तथा जनजातीय उत्पादों के किसान उत्पादक संगठनों एवं कृषको” के लिए एक दिवसीय कौशल विकास पर कार्यक्रम हुआ। मुख्य अतिथि शर्मा ने कहा देश में हरित क्रांति, उन्नतशील बीजों एवं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से हमने इतना ज्यादा उत्पादन किया कि लगा पूरे भू-मंडल को हम 3 से 4 वर्षों तक भोजन उपलब्ध करा सकते हैं, लेकिन यूक्रेन युद्ध से हमारी यह धारणा टूट गई है। यूक्रेन एक ऐसा देश है जो पूरी दुनिया का 16 से 18 प्रतिशत गेहूं पैदा करता है। युद्ध ने गेहूं की खड़ी फसल को तबाह कर दिया। मार्केट में यूक्रेन का गेहूं ना आने से मूल्य इतना बढ़ गया है कि वह आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है। आज पूरा विश्व, युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, जिसके कारण हमारे समक्ष वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है। गेहूं, मक्का और चावल अहम खाद्य पदार्थ हैं। साल 2022 में इन खाद्य पदार्थों की कमी से हमारे समक्ष संकट के बादल मंडरा सकते हैं। इस परिस्थिति में किसानों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, हमारे सिर पर अन्नदाता का ताज है।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। विशिष्ट अतिथि आनंद मिश्रा, श्रीकांत गोवर्धन, राघवेंद्र सिंह चंदेल, निर्मल कुमार अवस्थी, डॉ. सतीश वेरुलकर, डॉ रेखा सिंह, तरुण साहू ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञों ने व्याख्यान के माध्यम से कृषकों को प्रशिक्षण दिया। किसान उत्पादक संगठनों एवं प्रगतिशील कृषकों ने प्रदर्शनी के माध्यम से अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर प्रशिक्षण में सहभागी कृषकों को जानकारी दी। आभार प्रशांत वाघमारे ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने किया। आयोजन में जिले के 100 कृषकों ने सहभागिता की। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर के प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कर्मचारी व छात्र-छात्राएं बड़ी उपस्थित थे।
कीटनाशकों के अवशेष निर्यात में सबसे बड़ी बाधा
अधिष्ठाता डॉ. आर.के.एस. तिवारी ने स्वागत उद्बोधन में कहा बिलासपुर जिले में वन उत्पादों, बाजरा फसल की अपार संभावना है। किसान परंपरागत खेती को छोड़ना नहीं चाहते। छत्तीसगढ़ में उत्पादित कृषि उत्पादों में कीटनाशकों के अवशेष की मात्रा मानक स्तर से अधिक होने के कारण निर्यात में सबसे बड़ी बाधा आती है। हमें रसायन मुक्त उत्पाद उत्पादित करना चाहिए।
कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार मुहैया कराने काम कर रहे
समिधा गुप्ता, डीजीएम एपीडा ने बताया एपीडा केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत शीर्ष संगठन है, जिसे भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात के प्रचार और विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एपीडा देश में बनी चीजों और कृषि से जुड़े उत्पादों को वैश्विक बाजार मुहैया कराने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। आज का आयोजन इसी दिशा में एक प्रयास है। छत्तीसगढ़ के कृषि तथा जनजातीय उत्पादों के किसान उत्पादक संगठनों एवं कृषकों को प्रशिक्षण के माध्यम से कृषि उत्पादों के निर्यात में एपीडा की भूमिका एवं वित्तीय योजनाओं से अवगत कराना है।