वानिकी वृक्षों के वर्धी प्रजनन तकनीक का दिया गया प्रशिक्षण
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय बिलासपुर का आयोजन
बिलासपुर। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वित्त पोषित “वानिकी वृक्षों के वर्धी प्रजनन तकनीक” पर राज्य वन विभाग के प्रक्षेत्र अधिकारियों के लिए एक दिवसीय कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके मुख्य अतिथि एस. जगदीशन, मुख्य वन संरक्षक एवं फील्ड डायरेक्टर अचानकमार टाइगर रिजर्व रहे। अध्यक्षता डॉ. आर.के.एस. तिवारी, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय ने की।
मुख्य अतिथि एस. जगदीशन ने कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के रूप में वन प्रारंभ से ही मानव विकास के केंद्र में रहे हैं और इसीलिए वनों के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बीते कुछ वर्षों से जिस प्रकार बिना सोचे समझे वनों की कटाई की जा रही है उसे देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की जल्द ही हमें इसके भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे। विश्व के साथ-साथ भारत में भी वनों की कटाई का मुद्दा महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। वर्तमान समय में वनों की घटती उत्पादकता चिंता का विषय है, जिसे वृक्ष सुधार कार्यक्रम से प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए हमें गुणवत्ता युक्त प्रजातियों का चुनाव करना होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम उसी दिशा में एक प्रयास है।
नोडल अधिकारी डॉ. एस.एल. स्वामी ने बताया वानिकी में पौध रोपण की सफलता के लिए प्रजाति का चुनाव एवं उत्पादन विधियों की जानकारी हेतु तकनीकी ज्ञान का होना आवश्यक है। हमारा वनीकरण तथा पुनरवनीकरण कार्यक्रम तकनीकी ज्ञान के अभाव में ही असफल हो रहा है। डॉ. आर. के. एस तिवारी ने कहा पौधरोपण की सफलता उच्च गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री पर निर्भर करती है। भारत के वनों की उत्पादन क्षमता 0.5 घन मीटर प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष है जो विश्व की उत्पादन क्षमता 2.5 घन मीटर प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष से बहुत कम है। इसलिए वानिकी क्षेत्र में चलाए जा रहे सभी कार्यक्रमों का एक मुख्य उद्देश्य वनों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। इसकी पूर्ति के लिए अच्छी पौध और अच्छी पौध तैयार करने के लिए तकनीकी ज्ञान का होना अति आवश्यक है। सभी प्रक्षेत्र अधिकारियों को प्रशिक्षण का अवसर मिला है।
कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन विभाग के सहायक वन संरक्षक, वन क्षेत्रपाल, उपवन क्षेत्रपाल, वनपाल एवं वनरक्षक स्तर के अधिकारियों को वानिकी वृक्षों के वर्धी प्रजनन की विभिन्न विधाओं में सैद्धांतिक व प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया। कलम विधि द्वारा पौध प्रवर्धन पर वानिकी वैज्ञानिक अजीत विलियम्स, लेयरिंग या दाब कलम विधि पर वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. आर. के. बिसेन, कलम बंधन, कलिकायन विधि पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार वर्मा ने प्रक्षेत्र में प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया।
प्रशिक्षणार्थियों को अधिष्ठाता डॉ. आर.के.एस. तिवारी द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में बिलासपुर, मरवाही, कोरबा, कटघोरा रायगढ़, धर्मजयगढ़, मुंगेली एवं अनुसंधान विस्तार इकाई कोटा, अकलतरा, बिल्हा के वन प्रक्षेत्र अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स व आभार वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार वर्मा द्वारा व्यक्त किया गया।