महामाया मंदिर के कुंड में जाल में फंसकर मृत मिले 23 कछुओं का मामला
सबके याद होगा कि उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी पंच परमेश्वर में जब खाला के साथ छल कर जुम्मन शेख उनकी जमीन लिखवा लेते हैं, और खाला की सेवा करना बंद कर देता हैं। उस समय खाला उनके मित्र अलगू चौधरी को पंच बनाती हैं और उनसे न्याय की गुहार लगाती हैं लेकिन अलगू कहता है कि जुम्मन मेरा पुराना मित्र है उसके खिलाफ न्याय करके हमारी दोस्ती में बिगाड आ जाएगा। तब खाला कहती हैं ” क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?” ये संवाद तो शुक्रवार को महामाया मंदिर ट्रस्ट द्वारा बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महामाया मंदिर के कुंड में जाल में फंसकर 23 कछुओं की हुई मौत को षड्यंत्र बताते हुए ट्रस्ट को बदनाम करने की साज़िश बताए जा ने के बाद फिर मौजू में आ गया है। प्रत्रकारों के समक्ष मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष सिंह ने सवाल उठाया कि महामाया मंदिर ट्रस्ट इस घटना में कैसे शामिल हो सकता है ? षड्यंत्र कैसे कर सकता है ? उन्होंने कहा सीसीटीवी में मछली मारते दिख रहे व्यक्ति को वह नहीं पहचानते हैं। इसमें किसी षड्यंत्र की बू आ रही है, जो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। इस पर रतनपुर शहर सवाल उठा रहे हैं कि मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष सिंह को अपने ही मंदिर ट्रस्ट के खर्चें पर लगाएं गए सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड चलचित्रों पर तो भरोसा होगा ही। या फिर उसे भी हेक कर षड्यंत्र करने वालों ने अपने मन माफिक चल चित्र घुसेड़ दिया है ?
पत्रकारों से कहा सीसीटीवी में मछली मारते दिख रहे व्यक्ति को वह नहीं पहचानते हैं। ठीक है हो सकता है आप नहीं पहचानते हो। तो क्या सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में नजर आ रहे सुरक्षा कर्मी को भी नहीं पहचानते। जिसने वीआईपी पार्किंग के गेट का ताला खोला और आधी रात तीन लोगों को मंदिर परिसर में बड़े आराम से प्रवेश करने का अवसर प्रदान किया। जो पानी में तैरने वाले ट्यूब लेकर कुंड के अंदर बड़े आराम से न जाने क्या पकड़ने पानी में जाल गिराने लगे और इस दौरान मंदिर परिसर का सरकारी सुरक्षा कर्मी आराम से कुंड के पास ही चहल कदमी करता रहा जैसा कि सब कुछ मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में चलचित्र कैद हुआ है। सुरक्षा कर्मी तो सरकारी कारिंदा है। ड्यूटी रोस्टर देख कर उसकी पहचान तो आसानी से मंदिर ट्रस्ट ने कर ली होगी। उस पर तो किसी को कोई संदेह नहीं होगा। उससे ट्रस्ट ने क्या पूछताछ की ? आधी रात को मंदिर परिसर में आने वाला उसकी जान पहचान का कौन था जिसके लिए उसने वीआईपी गेट पर लगा ताला खोल दिया। और उसे वो सब करने दिया जिसे घटना के सप्ताह भर बाद मंदिर ट्रस्ट प्रेस कॉन्फ्रेंस कर षड्यंत्र बताने को मजबूर हो गया।

पुराणों में कछुआ को विष्णु का अवतार माना जाता है। सनातनी हिंदूओं की आस्था है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत हासिल करने के लिए भगवान विष्णु ने कछुआ का अवतार लेकर मंदरांचल पर्वत को अपनी पीठ पर लेकर मथनी बनाया और देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया। इसके चलते कछुआ भगवान विष्णु का प्रतीक है। महामाया मंदिर ट्रस्ट को अपनी प्रतिष्ठा, बदनामी और षड्यंत्र की चिंता तो है लेकिन उनके संरक्षित परिसर के कुंड में जाल में फंसकर मृत मिले 23 कछुओं की मौत का जरा भी अफसोस नहीं। अफसोस होता तो अपना पक्ष रखने के साथ ही पहली अनुसूची के संरक्षित कछुओं की मौत पर अफसोस जताते। पचरी में जाल में फंसकर मृत पड़े कछुओं को अपने कारिंदे भेजकर कुड़े के ढेर में फेंकने की अमानुस करतब करने की जहमत नहीं उठाते। जैसे की सीसीटीवी कैमरे के रिकॉर्ड चलचित्रों में दिख रहा है। भला मानुष बनते, पुलिस को बताते, वन विभाग के अमले को बुलाते अफसोस जताते, कछुओं को मौत के मुंह तक पहुंचाने वाले अपराधी को सजा दिलाने कदम उठाते। “मां” पूछ रही क्या अब भी बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं कहोगे … !

नियत साफ थी तो दिन में नेटिंग क्यों नहीं कराई
मुख्य पुजारी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी पंडित अरुण शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि ऐसा माहौल बना दिया गया है कि मंदिर प्रबंधन ही इस मामले में पूरी तरह दोषी है। उन्होंने कहा कि मंदिर के सहयोगी आनंद जायसवाल को ट्रस्टियों ने कुंड से बदबू आने के कारण साफ सफाई करने कहा था। मछली को भी हटाने कहा गया था। जिसमें 23 मार्च को आनंद जायसवाल ने मछली निकाला जिसे रतनपुर बाजार में बेचने के बाद उस पैसे को लाकर ट्रस्ट में जमा किया। इस पर रतनपुर शहर पूछ रहा है कि किसने ऐसा माहौल बना दिया कि कछुओं की मौत के लिए मंदिर प्रबंधन ही जिम्मेदार है। मुख्य धारा की मीडिया ने तो घटना के बाद चल रही जांच की खबरों पर चुप्पी साध रखी है।

अधिकारिक रूप से तो मामले की जांच कर रहे रतनपुर वन परिक्षेत्र के अधिकारियों ने भी कोई बात पत्रकारों से नहीं की है। पूछताछ के लिए बुलाएं गए संदेहियों की जानकारी भी वन विभाग नहीं दे रहा। फोटो तक खींचने में टोंका टांकी कर जांच अधिकारी मिडिया से दूरी बनाए हुए हैं। वर्ना दस साल पहले शहर के ही एक निजी ढाबे के फव्वारे में जीवित मिले नौ कछुओं पर आरोपी को पकड़ने नाकाम वन विभाग के खिलाफ एक कारपोरेट अखबार ने तीन सीरीज निकाल मुहिम छेड़ दी थी। इस मामले को आज भी लोग याद करते हैं। वहीं उसी कारपोरेट अखबार ने जाल में फंसकर मृत मिले 23 कछुओं की खबर को ग्रामीण संस्करण में प्रकाशित कर शहरी प्रबुद्ध पाठक के बड़े वर्ग तक खबर को पहुंचने से ही रोक दिया गया।

महामाया मंदिर ट्रस्ट में सबकुछ ठीक है तो किस बात का डर घर गया कि पूरे ट्रस्ट को सफाई देने अपनी बात रखने बिलासपुर प्रेस क्लब आना पड़ गया। आए थे तो ये भी बता जाते कि मंदिर कुंड में आधी रात को मछली पकड़ने जाल बिछाने का आदेश ट्रस्ट ने ही अपने कथित सहयोगी आनंद जायसवाल को दी थी। क्या पहले भी हर नवरात्रि पर्व के पहले कुंड से मछली निकाली गई है ? कछुआ कुंड में दर्शनार्थी छोड़ जाते हैं तो फिर मछली कौन डाल गया जो कि आधी रात को निकाले जाने पर 4892 रुपए का हो गया। जैसा कि मंदिर ट्रस्ट के दानपत्र में अंकित है। मछली तो दिन में भी निकाली जा सकती थी फिर इसके लिए आधी रात का वक्त ही क्यों चुना गया। मछली पकड़ने का काम तो नगर पालिका प्रशासन से अनुरोध कर भी कराया जा सकता था। तय प्रावधानों के तहत तो सरकारी तालाब का राजस्व तो नगर पालिका परिषद को ही मिलना चाहिए जैसे कि महामाया कुंड से ही लगे कलपेसरा व अन्य तालाबों से मिलता है।
किसे मिला है ट्रस्ट से करोड़ों की निविदा, सीसीटीवी कैमरे रिकॉर्ड चलचित्र से क्या है उसका रिश्ता….
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कफील आजर अमरोहवी अपने मशहूर नजम में कहते हैं
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशाँ क्यूँ हो
जगमगाते हुए लम्हों से गुरेज़ाँ क्यूँ हो
उँगलियाँ उहेंगी सूखे हुए बालों की तरफ़
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़
चूड़ियों पर भी कई तंज़ किए जाएँगे
काँपते हाथों पे भी फ़िक़रे कसे जाएँगे
फिर कहेंगे कि हँसी में भी ख़फ़ा होती हैं
अब तो ‘रूही’ की नमाज़ें भी क़ज़ा होती हैं
लोग ज़ालिम हैं हर इक बात का तअना देंगे
बातों बातों में मिरा ज़िक्र भी ले आएँगे
इन की बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
वर्ना चेहरे के तअस्सुर से समझ जाएँगे
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उन से
मेरे बारे में कोई बात न करना उन से
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी