महामाया मंदिर ट्रस्ट ने बताया बदनाम करने की हो रही कोशिश
बिलासपुर। महामाया मंदिर ट्रस्ट को बदनाम करने 23 कछुओं ने सामूहिक खुदकुशी कर ली ? जिसे लोगों ने देखकर पानी से बाहर निकाल कर पचरी में रख दिया। जिसे देख कर जिम्मेदार ट्रस्ट ने बाहर कचरे के ढेर में फिंकवा दिया। जहां से बरामद कर वन विभाग के कर्मियों ने जाल में फंसे मृत कछुओं को बरामद कर कार्रवाई शुरू की है। क्या रतनपुर नगर पालिका परिषद के पास अपनी संपत्ति की साफ-सफाई के लिए सफाई अमला भी नहीं ? जिसके चलते साफ-सफाई की जिम्मेदारी ट्रस्ट को अपने कथित सहयोगी से करानी पड़ी। …. और भी हैं ज्वलंत सवाल जिसके जिम्मेदारों को देने होंगे जवाब !

बिलासपुर प्रेस क्लब में पहुंचकर शुक्रवार को दोपहर महामाया मंदिर ट्रस्ट रतनपुर के अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष सतीश शर्मा, मुख्य पुजारी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी पंडित अरुण शर्मा, कोषाध्यक्ष रितेश जुनेजा, ट्रस्टी विनोद गोरख, शैलेंद्र जायसवाल और मंदिर के सक्रिय सहयोगी ए पी त्रिपाठी ने पत्रकारों से चर्चा की। सभी ने महामाया मंदिर परिसर के कुंड में जाल में फंसकर मृत मिले 23 कछुओं के मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा मंदिर प्रबंधन हर तरह से जांच में सहयोग कर रहा है। कछुए की मौत के बाद कुछ लोग मंदिर प्रबंधन को बदनाम करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। ट्रस्टियों ने स्पष्ट किया कि इसमें किसी भी तरह का हाथ ट्रस्टियों का नहीं है। निष्पक्ष तरीके से जांच होनी चाहिए और जो भी इस मामले में दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि जो बदनामी का दंश ट्रस्ट के नाम आ रहा है वह स्पष्ट हो सके। महामाया प्रबंधन के सभी पदाधिकारी और ट्रस्टियों ने कहा कि आर्थिक, व्यवहार और अव्यवस्था जैसी चीजों के जरिए ट्रस्ट को बदनाम करने का लोगों को अवसर नहीं मिल रहा है तो लगता है कि इस तरह का हथकंडा अपना कर लोग प्रबंधन को बदनाम करना चाह रहे हैं। इसलिए सभी ने निष्पक्ष तरीके से पूरे मामले की जांच की मांग की है।

अध्यक्ष आशीष सिंह बोले मछली मारते दिख रहे आरोपी को नहीं पहचानते
अध्यक्ष आशीष सिंह ने सवाल उठाया कि महामाया मंदिर ट्रस्ट इस घटना में कैसे शामिल हो सकता है ? षड्यंत्र कैसे कर सकता है ? उन्होंने कहा सीसीटीवी में मछली मारते दिख रहे व्यक्ति को वह नहीं पहचानते हैं। इसमें किसी षड्यंत्र की बू आ रही है, जो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। श्री ठाकुर ने कहा कि कुंड में कछुआ कहां से आते हैं उन्हें नहीं पता, मगर यह सुनने में आया है कि दर्शनार्थ वहां जाकर कुंड में कछुओं को ढील देते हैं।

मैनेजिंग ट्रस्टी शर्मा बोले आनंद जायसवाल को कुंड से बदबू आने पर साफ-सफाई करने कहा
मुख्य पुजारी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी पंडित अरुण शर्मा ने बताया कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी जांच के लिए रतनपुर मंदिर पहुंचे थे । जिन्हें ट्रस्ट के सभी लोग पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। कोई भी बात उनसे छुपाई नहीं जा रही है। विभाग के अधिकारी वीडियो फुटेज और सीसीटीवी का डीवीआर लेकर गए हैं। जांच चल रही है। ऐसा माहौल बना दिया गया है कि मंदिर प्रबंधन ही इस मामले में पूरी तरह दोषी है। ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मंदिर के सहयोगी आनंद जायसवाल को ट्रस्टियों ने कुंड से बदबू आने के कारण साफ सफाई करने कहा था। मछली को भी हटाने कहा गया था। जिसमें 23 मार्च को आनंद जायसवाल ने मछली निकाला जिसे रतनपुर बाजार में बेचने के बाद उस पैसे को लाकर ट्रस्ट में जमा किया। 23 तारीख की रात को कछुए कुंड के बाहर नजर नहीं आए। 24 को दिन में नजर नहीं आए। 24 की रात को भी नजर नहीं आए। अचानक 25 मार्च की सुबह लगभग दो दर्जन कछुए मृत पाए गए जो किसी षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है।





शहर के लोगों के हैं ये सवाल
अध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया है कि सीसीटीवी में मछली मारते दिख रहे व्यक्ति को वह नहीं पहचानते हैं। इसमें किसी षड्यंत्र की बू आ रही है, जो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। वहीं मैनेजिंग ट्रस्टी अरुण शर्मा ने कहा कि मंदिर के सहयोगी आनंद जायसवाल को ट्रस्टियों ने कुंड से बदबू आने के कारण साफ सफाई करने कहा था। मछली को भी हटाने कहा गया था। अंग्रेजी महीने में दिन की शुरुआत मध्य रात्रि से होती है। सूत्रों के मुताबिक मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से स्पष्ट हो रहा कि आनंद जायसवाल ठीक आधी रात यानि 23 मार्च की रात को बाइक से वीआईपी गेट के सामने पहुंचा । जहां उसने अपने मोबाइल से किसी से बात की। इसके बाद एक और बाइक से दो लोगों ट्यूब और बोरी में कुछ सामान लेकर पहुंचे। कुछ देर बाद गेट का ताला खुला और सभी अंदर चले गए। अंदर कुंड में ट्यूब की मदद से गिननेट (जाल) बिछाई। इसके बाद सभी लोग सुबह पौने पांच बजे के लगभग पांच भरी बोरियों को लेकर लौट गए। अध्यक्ष आशीष सिंह को भी वो सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करनी चाहिए जिसमें दिख रहे व्यक्ति को वो नहीं पहचान पाए। संभव है सीसीटीवी कैमरे के फुटेज सार्वजनिक होने से उनकी शिनाख्त हो जाएं और मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ साजिस करने वालों का पर्दाफाश हो सके।
ट्रस्ट ने पुलिस और वन विभाग को क्यों नहीं दी घटना की सूचना
25 मार्च की सुबह जब कुंड में पानी की सतह पर जाल में फंसी कछुओं का समूह दिखने लगा तो लोगों ने ही उसे पानी से बाहर निकाल कर वहीं पचरी में रख दिया। इसकी सूचना मिलने पर वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा। सूत्रों के मुताबिक जांच में ये बात भी सामने आई है कि ट्रस्ट के एक जिम्मेदार ने पचरी पर पड़े जाल सहित कछुओं को उठाकर कचरें के ढ़ेर में फिंकवा दिया था जहां से वन विभाग के अमले ने बरामद कर पंचनामा और पोस्टमार्टम की कार्रवाई पूरी की। अब सवाल यह है कि इस घटना में ट्रस्ट की कोई भूमिका नहीं थी तो जिम्मेदार नागरिक की तरह घटना की सूचना पुलिस या फिर वन विभाग को क्यों नहीं दी गई। जाल सहित कछुओं को पचरी से हटाने के पीछे की मंशा क्या थी। सबको पता है कि मंदिर परिसर के आसपास का पूरा क्षेत्र सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हैं। इसके जवाब भी ट्रस्ट को देने चाहिए।

नगर पालिका परिषद से क्यों नहीं कराई सफाई
महामाया कुंड में मछलियों के मरने और बदबू आने की शिकायत किसी ने ट्रस्ट से की तो इसकी साफ-सफाई के लिए नगरपालिका पालिका परिषद से साफ-सफाई के लिए अनुरोध या पत्राचार क्यों नहीं किया गया। सरकारी व सार्वजनिक स्थानों के साफ-सफाई करने की जिम्मेदारी तो नगर पालिका प्रशासन की ही है। इसी के लिए तो नवरात्रि पर्व के पहले प्रशासनिक अधिकारियों की ट्रस्ट की बैठक होती है जिसमें सभी जिम्मेदार मौजूद होते हैं।

तो क्या षड्यंत्र में सुरक्षा में तैनात जवान भी हैं शामिल
सामान्यतः देर शाम आरती के बाद माता के श्रृंगार को उतारकर सुरक्षा के लिए सभी तरफ लगे हुए गेटों पर ताला जड़ दिया जाता है। रात में भी मन्दिर परिसर की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के जवानों की तैनाती रहती है। सूत्रों के मुताबिक वीआईपी पार्किंग की तरफ लगे गेट का ताला तो सुरक्षा के लिए तैनात जवान ने ही आधी रात को खोली है। जो सीसीटीवी कैमरा में रिकॉर्ड है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के द्वारा घटना पर षड्यंत्र का संदेह जताना तो सुरक्षा के लिए तैनात जवानों की भूमिका पर भी सवाल उठाता है। उन पर अब तक क्या कोई कार्रवाई प्रशासन ने की है। मंदिर ट्रस्ट ने ही उनकी लापरवाही की जांच के लिए भी कोई पत्र लिखा गया है। पूरी घटना तो सीसीटीवी कैमरे में दर्ज होगी। इसकी जांच किस जांच एजेंसी से निष्पक्ष हो सकती है इसका खुलासा पत्रकारों से किया जाना चाहिए था। प्रकरण दर्ज कर वन विभाग जांच कर रही है। तो क्या ट्रस्ट को वन विभाग की जांच पर भरोसा नहीं है। घटना पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भी संज्ञान लिया है। ऐसे में जांच हाई कोर्ट की निगरानी में हो रही है संभव है कथित षड़यंत्र का भी पर्दाफाश ट्रस्ट की मंशा के अनुरूप हो जाएं।
दिन में क्यों नहीं की गई सफाई ….