उपभोक्ता मांग ढेर

भाटापारा । बढ़ती कीमत, घटती मांग। यह उस दलहन बाजार का हाल है, जहां अरहर दाल 170 से 175 रुपए किलो की नई ऊंचाई पर पहुंच चुकी है। मंदी के आसार इसलिए भी नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि दलहन मिलें ऊंची कीमत पर खरीदी के लिए विवश हैं।

कमजोर फसल। कमजोर आवक। बड़ी कंपनियों की खरीदी और भंडारण की बढ़ती मनोवृति। ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं, जिनकी वजह से दलहन में चौतरफा तेजी आ रही है। सर्वाधिक परेशान वह खुदरा बाजार है, जिसे गिरती मांग ने परेशान किया हुआ है। हैरत इसलिए जताई जा रही है क्योंकि त्यौहारी मांग गायब है।पटका 170 से 175 पर

पटका 170 से 175 पर

हमेशा मांग में रहती है, अरहर पटका दाल। नई कीमत जारी होने के बाद यह 170 से 175 रुपए किलो की नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। जबकि सामान्य अरहर दाल में 160 से 165 रुपए किलो की दर पर विक्रय के प्रयास हैं लेकिन खरीदी को लेकर उपभोक्ता, रुझान नहीं दिखा रहे हैं। यह स्थिति तब बनी हुई है, जब त्यौहार की मांग के दिन चालू हो चुके हैं।पीछे यह भी नहीं

पीछे यह भी नहीं

चना दाल। त्यौहारी मांग के बीच होटल और स्वीट कॉर्नरों की डिमांड चालू है। तेजी के बाद यह 80 से 85 रुपए किलो पर पहुंचा हुआ है। पितृ पक्ष करीब है। मांग की आहट से उड़द दाल छिलका वाला 105 तो, धुली दाल 120 रुपए किलो पर पहुंच गई है। मूंग दाल छिलका वाली 110 रुपए और धुली में कीमत 120 से 125 रुपये बोली जाने लगी है।पहली बार

पहली बार

तिवरा की दाल कम ही खरीदी जाती है लेकिन दलहन की अन्य किस्म में आई तेजी के बाद, मांग का प्रवाह इसकी ओर हो चला है। ऐसे में तिवरा दाल 60 से 65 रुपए किलो की नई ऊंचाई पर पहुंचा हुआ है। मसूर में 80 से 90 रुपए, तो मिंझरा दाल 75 से 80 रुपए किलो की दर पर बेची जाने लगी है। इंतजार है, अपेक्षित मांग का।

By MIG