बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर का आयोजन
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य वन उत्पादों के लिए 130 संग्रह केंद्र संचालित करता है। बहुराष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) को भी आपूर्ति करता है l राज्य में प्राकृतिक संसाधनों का विपुल भंडार है। वन उत्पाद के दृष्टिकोण से निर्यात की अपार संभावनाएं है। यह बात मुख्य अतिथि राजेश कुमार चंदेले मुख्य वन संरक्षक, बिलासपुर डिवीजन ने कही।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण भोपाल व बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में “छत्तीसगढ़ से जनजातीय, कृषि और बागवानी उत्पादों का निर्यात” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कृषि महाविद्यालय सभागार में किया गया। पूनम कपूर ने कहा कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य गैर बासमती चावल के अलावा जनजातीय, कृषि और बागवानी उत्पादों के निर्यात के अवसरों के बारे में छत्तीसगढ़ राज्य के अन्नदाता कृषकों को जागरूकता प्रदान करना है। उन्होंने औषधीय एवं सुगंधित पौधों का निर्यात, प्रसंस्कृत सब्जियों, ड्रैगन फ्रूट जैसे विदेशी फलों के निर्यात तथा बायोफैक इंडिया और एपीडा के व्यापार मेले में भागीदारी पर प्रकाश डाला। डॉ.आर.के.एस. तिवारी ने कहा जिले में वन उत्पादों एवं बाजरा फसल की अपार संभावना है। किसान भाई परंपरागत खेती को छोड़ना नहीं चाहते। राज्य में उत्पादित कृषि उत्पादों में कीटनाशकों के अवशेष की मात्रा मानक स्तर से अधिक होने के कारण निर्यात में सबसे बड़ी बाधा आती है। हमें रसायन मुक्त उत्पाद उत्पादित करना चाहिए।

15 से 20 प्रतिशत किसान ही करते हैं उन्नत खेती
कार्यक्रम के अध्यक्ष आनंद मिश्रा ने कहा छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा का जाने का प्रमुख कारण है कि यहां क्षेत्रफल की तुलना में अत्यधिक किस्म का धान उगाया जाता है। अकेले इस राज्य में धान की 20,000 से अधिक किस्म का उत्पादन होता है जिसमें सबसे ज्यादा मशहूर है धान की औषधीय किस्म, जिनका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में होता है। राज्य के 75 फ़ीसदी किसान अशिक्षित है और पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं। राज्य के केवल 15 से 20 प्रतिशत किसान ही 15 से 20 प्रतिशत किसान ही नई तकनीकों जैसे उर्वरक, कृषि मशीनरी, उन्नत बीज और सिंचाई सुविधाओं का उपयोग करते हैं। ऐसे आयोजन निश्चित रूप से उनके सामने प्रगति के नए द्वार खोलेंगे।

छत्तीसगढ़ में होगा इंटीग्रेटेड पैकहाउस
विशिष्ट अतिथि भूपेंद्र कुमार पांडे ने कहा छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा और बस्तर जैसे जिलों को 100% जैविक जिला घोषित किया गया है। राज्य निशुल्क जैविक प्रमाणीकरण प्रदान करके किसानों का समर्थन कर रहा है। राज्य में इंटीग्रेटेड पैकहाउस जल्द ही स्थापित किया जाएगा। विशिष्ट अतिथि संजय यादव ने कहा छत्तीसगढ़ राज्य वन उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है। अब तक 23 लघु वन उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ खरीदी जा रही है। राज्य में बाजरा के लिए एमएसपी हाल ही में घोषित किया गया है l कार्यशाला को वी.के. चतुर्वेदी, अशोक साहू, प्रसाद चक्रवर्ती ने भी संबोधित किया।

निर्यात की संभावनाओं पर परिचर्चा
छत्तीसगढ़ से जनजातीय, कृषि और बागवानी उत्पादों का निर्यात की संभावनाएं विषय में परिचर्चा में भाग लेते हुए भरत खेत्रपाल, राघवेंद्र सिंह चंदेल, निर्मल अवस्थी, अनिरुद्ध अग्रवाल, लोकेश व तरुण साहू ने अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में बिलासपुर जिले के 72 प्रगतिशील कृषक व 04 स्टार्टअप ने भागीदारी की l कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने किया l कार्यशाला के आयोजन में डॉ. एन.के.चौरे,एस.के. वर्मा, प्रर्मेंद्र कुमार केसरी, अजय टेगर, दिनेश पांडे, संतोष चंद्राकर, धजाराम कश्यप, गोरेलाल थवाईत एवं पवन कुमार कौशिक का सहयोग रहा।