पैरा खड़ा 600 रुपए क्विंटल पर, गेहूं चोकर पच्चीस सौ रुपए

हरियाली गायब, पशु आहार में आई तेजी

बिलासपुर। खड़ा पैरा 600 रूपये क्विंटल। संकेत आगे भी तेजी के ही बने हुए हैं। कुछ ऐसा ही हाल गेहूं चोकर में भी देखा जा रहा है क्योंकि इसमें भी कीमत 2500 रूपए क्विंटल पर जा पहुंची है।

सूखे दिन और मैदानों से गायब हो चुकी हरियाली के बाद मवेशी पालकों की डिमांड सूखे पशु आहार में निकल चुकी है। शायद यह पहला साल है, जब आसान उपलब्धता वाला पैरा आसमान छूने के लिए बेताब नजर आ रहा है। प्रयास में सफलता भी मिल रही है।

सर्वाधिक मांग पैरा की

भरपूर मात्रा में मिल जाता है पैरा। इस बरस स्थितियां बदली हुई हैं। मांग की अपेक्षा सप्लाई लाइन कमजोर है। इसलिए खड़ा पैरा की प्रति क्विंटल कीमत 600 रुपए बोली जा रही है जबकि पैरा काटी चिल्हर में 500 रुपए और थोक में 350 रुपए क्विंटल पर मिल रहा है।

इसलिए तेज

हार्वेस्टर से कटाई के बाद पैरा संग्रहण को लेकर जैसी उदासीनता दिखाई गई उसका नतीजा पैरा की बढ़ती कीमत के रूप में सामने आ चुका है। इसके अलावा खेतों में ही जला देने की प्रवृत्ति भी, तेजी की वजह मानी जा रही है।

गर्मी इसमें भी

कृषि वैज्ञानिक भले ही गेहूं का उत्पादन सामान्य बता रहे हों लेकिन विपरीत परिस्थितियां गेहूं के चोकर में बन चुकी है। मानक गुणवत्ता के नहीं मिलने से यह भी गर्मी दिखा रहा है। लोकल गेहूं का चोकर 2500 रुपए क्विंटल जैसी नई कीमत अपने नाम कर चुका है। गेहूं भूसा 1000 रुपए क्विंटल पर पहुंच कर हैरत में डाल रहा है।

इसलिए तेजी

गेहूं भूंसा में भी तेजी की वजह हार्वेस्टर से कटाई को मानी जा रही है क्योंकि इस तकनीक से कटाई के बाद भूसा हासिल नहीं होता। चोकर में तेजी के पीछे दानों के छोटा होने को माना जा रहा है।

राहत है

कोढ़ा। एकमात्र ऐसा पशु आहार, जिसमें खरीदी पूरे साल रहती है। भरपूर उपलब्धता और मजबूत आपूर्ति की वजह से यह 900 से 1000 रुपए क्विंटल पर राहत दे रहा है। तेजी जैसी स्थिति इसमें दिखाई नहीं दे रही है।

इसलिए शांत

खरीफ में रिकॉर्ड उत्पादन देने वाली धान की रबी फसल भी बड़े रकबे में ली गई है। चालू माह के अंत में तैयार फसल की आवक की संभावना है। इसलिए कोढ़ा की कीमत स्थिर रहने के संकेत हैं।