खेखसी में आठ मेडिशनल प्रॉपर्टीज की पहचान
व्यावसायिक खेती की है योजना
बिलासपुर। 8 मेडिशनल प्रॉपर्टीज के दम पर कम से कम 7 बीमारी दूर करने में सक्षम है कंटोला। आधा दर्जन नाम के साथ मिलने वाली सब्जी की इस प्रजाति को छत्तीसगढ़ में खेखसी के नाम से पहचाना जाता है। रिसर्च में हुए खुलासे के बाद व्यावसायिक खेती की संभावनाएं तलाशी जा रहीं हैं।
सब्जियों में हो रहे नित नए अनुसंधान के बीच नया खुलासा खेखसी में हुआ है। अनुसंधान के प्रथम चरण में 8 औषधिय तत्वों की मौजूदगी का होना पाया गया है। इसी तरह पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा भी प्रमाणित हुई है। इसे देखते हुए अब खेखसी की व्यवसायिक खेती की व्यापक संभावनाएं खोजी जा रहीं हैं ताकि सब्जी उत्पादक किसानों की आय बढ़ाई जा सके।

मिले यह औषधीय तत्व
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्निक इंफॉर्मेशन के मुताबिक खेखसी में क्रूड प्रोटीन, फैट, क्रूड फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, सोडियम और कैल्शियम के प्रचुर मात्रा का होना पाया गया है।
नियंत्रण इन बीमारियों पर
खेखसी में मिले महत्वपूर्ण औषधिय तत्वों की मदद से सिरदर्द, कान दर्द, पाइल्स, पीलिया और पेट का संक्रमण दूर किया जा सकता है। इसके अलावा दाद-खाज जैसी आम समस्या भी दूर की जा सकती है। महत्वपूर्ण गुण यह मिला है कि खेखसी के सेवन से मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को नियंत्रण में रखा जा सकता है।

जानिए खेखसी को
जून-जुलाई के महीने को इसकी बोनी के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके साथ ही पौधे और कलम भी लगाए जा सकते हैं। अल्प सिंचाई वाली सब्जी की यह प्रजाति एक बार लगाए जाने के बाद 6 से 7 साल तक फसल देती है। कंटोला और बनकरेला जैसे नाम के बीच, अपने छत्तीसगढ़ में इसे खेखसी और खेखसा के नाम से पहचाना जाता है।
संभावना पर अध्ययन
औषधीय तत्वों के खुलासे के बाद खेखसी की व्यवसायिक खेती के लिए सरगुजा में संभावना पर अध्ययन चालू हो चुका है। अगले 1 साल में परिणाम आ जाएंगे।
-डा. अमित दीक्षित, डीन, उद्यानिकी महाविद्यालय, सांकरा (दुर्ग)