प्रबंधन में छूट रहा किसानों का पसीना

बिलासपुर। बोनी का काम पूरा कर लेने के बाद अब किसानों को खरपतवार प्रबंधन करना है क्योंकि मौसम का मिजाज जैसा बना हुआ है उससे खेतों में तरह-तरह के खरपतवार तैयार होने लगे हैं लेकिन चुनौती होगी रकम का इंतजाम करना क्योंकि कीमत मे लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।

खरपतवार, की तमाम तरह की प्रजातियों के लिए मौसम वरदान की तरह बन रहा है। खरीफ सत्र के अंतिम दिनों तक तैयार होती रहने वाली यह प्रजातियां किसानों के लिए कई तरह की परेशानियां खड़ी करतीं हैं, तो प्रबंधन में लगने वाली रकम भी चुनौती बनती है। जिले में बोनी का काम लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है। जिन किसानों ने यह काम पूरा कर लिया है, वे अब खरपतवार प्रबंधन की तैयारी करने लगे हैं।

बढ़वार और उत्पादन प्रभावित

अपने जिले के किसान हमेशा से खरपतवार से हलाकान होते आए हैं लेकिन चौड़ी पत्ती, मोथा, चुहरी, दूब, सांवा और बदौरी खरपतवार की ऐसी प्रजातियां हैं जिनकी तेज बढ़वार सबसे ज्यादा परेशानी की वजह बनती है। हताश करने वाली स्थिति तब आती है, जब इसकी वजह से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

खरीदी क्रम चालू

बीज डाले जाने के बाद, धान के साथ खरपतवार में भी अंकुरण चालू हो चुका है। लिहाजा किसान अब नियंत्रण के लिए जरुरी दवाओं की खरीदी के लिए बाजार पहुंचने लगे हैं। 25 से 30 प्रतिशत की आई तेजी के बाद, खरीदी में ऐसी दवाएं ज्यादा मांग में हैं, जो दूरगामी परिणाम देते हैं।मालूम हो कि बाजार में 24 घंटे और 5 से 10 दिन में रिजल्ट देने वाली खरपतवारनाशक दवाएं मिल रहीं हैं।

डिमांड इसमें भी

खरपतवारनाशक दवाओं की खरीदी के साथ स्प्रेयर में भी पूछ-परख निकलती नजर आती है। कीमत में वृद्धि से दूर, यह जरूरी उपकरण 1000 से लेकर 2000 रुपए तक की कीमत में मिल रहा है। बीते दो साल से बदलाव यही आया है कि खरीदी में प्लास्टिक बॉडी वाले स्प्रेयर को प्राथमिकता मिल रही है। लघु और सीमांत किसान ऐसे ही स्प्रेयर की खरीदी को प्राथमिकता दे रहें हैं।