राष्ट्रपति से हुई शिकायत, स्वास्थ्य विभाग ने फिर शुरू की मामले की जांच
औषधि निरीक्षक ध्रुव दर्ज कराया बयान
- बिलासपुर। नसबंदी कांड में 13 महिलाओं की मौत हुई थी। इस गंभीर मामले का प्रकरण 6 साल बाद न्यायालय में पेश करने का मामला विधानसभा में उठाया गया। इस पर शासन ने औषधि निरीक्षक राजेश क्षत्री और धरमवीर सिह ध्रुव को सस्पेंड कर दिया था। धर्मवीर सिह ध्रुव ने नसबंदी कांड में बेवजह फंसाने की शिकायत राष्ट्रपति से कर दी। राष्ट्रपति भवन से पत्र आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच शुरू की है। गुरुवार को औषधि निरीक्षक धरमवीर सिह का बयान दर्ज किया गया है। जिले में 8 नवंबर 2०14 को नसबंदी कांड सामने आया था। सिप्रोसीन दवा खाने से एक-एक कर 13 प्रसूताओं की मौत हो गई थी। दूसरी तरफ झोलाछाप डॉक्टरों से बीमारी का इलाज कराने वाले आधा दर्जन मरीजों ने भी सिप्रोसीन दवा खाने के बाद दम तोड़ दिया था। मामले में सिप्रोसीन दवा बनाने वाली कंपनी महावर फार्मा के संचालक रमेश महावर दवा को बेचने वाले दुकानदार कविता लेबोटरी के संचालक राकेश खरे, राजेश के खिलाफ कार्रवाई की गई। करीब 6 साल बाद प्रकरण को न्यायालय में पेश किया गया। इतनी गंभीर प्रकरणों को 6 साल बाद न्यायालय में पेश करने का मुद्दा विधानसभा में उठाया गया। इस पर शासन ने तत्काल औषधि निरीक्षक राजेश क्षत्री और धर्मवीर सिह ध्रुव को सस्पेंड कर दिया था। धर्मवीर सिह ने नसबंदी कांड में बेवजह फंसाने की शिकायत सीधे राष्ट्रपति से कर दी। उन्होंने शिकायत में लिखा कि नसबंदी कांड के समय उनकी जॉइनिग नहीं हुई थी। राष्ट्रपति भवन से पत्र बिलासपुर स्वास्थ विभाग को मिला है इस पर विभाग ने जांच शुरू कर दी है गुरुवार को औषधि निरीक्षक धर्मवीर सिह ध्रुव ने अपना बयान दर्ज कराया।
- जांच के नाम पर अफसर ही करते रहें देरी
- धरमवीर ध्रुव ने गुरूवार को बयान देते हुए कहा कि 8 नवंबर 2०14 को नसबंदी कांड सामने आया था। जबकि मेरी जॉइनिग 28 नवंबर 2०15 की है। नसबंदी कांड के बाद प्रीतम ऑग्ररे औषधि निरीक्षक मामले की जांच कर रहे थे। उन्होंने सिप्रोसीन दवा की दोबारा जांच नहीं कराई। मामले की जांच पूरी कर 2 साल तक प्रकरण पेश नहीं किया गया। इसके बाद उनका प्रमोशन हो गया 3 माह तक औषधि निरीक्षक राजेश क्षत्री ने मामले को लटका कर रखा। 27 फरवरी 2०16 को मुझे नसबंदी कांड का प्रकरण मिला। मामले की विवेचना के बाद 11 जुलाई 2०16 को नियंत्रण अधिकारी नया रायपुर को कार्रवाई के लिए प्रकरण भेजा गया। इतने गंभीर मामले में भी स्वीकृति देने के लिए नियंत्रण प्राधिकारी नया रायपुर को 2 साल लग गए। 5 फरवरी 2०18 को प्रकरण न्यायालयीन कार्यवाही के लिए स्वीकृति दी गई।