डीजल संकट का असर ट्रांसपोर्ट कंपनियों पर
भाटापारा। इस बार खरीफ सत्र में बोनी के लिए कल्टीवेशन चार्ज स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि ट्रैक्टरों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन डीजल संकट ने यदि फैलाव लिया, तो बोनी के लिए किसानों को ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है। फिलहाल कल्टीवेशन चार्ज 800 से 900 रुपए प्रति घंटा पर स्थिर है।
खाद-बीज की खरीदी और उठाव सहकारी समितियों से लगभग अंतिम चरण में है। अब बारी है बोनी की, जिसके लिए बारिश के थमने का इंतजार है। जिसके रुकते ही बोनी के काम में गति आने की संभावना है। इस बीच डीजल की कमजोर आपूर्ति की खबरों ने ट्रैक्टर मालिकों को परेशानी में डाल दिया है। इसके पहले यह क्षेत्र बढ़ी कीमत से परेशान हो चुका है, लेकिन ताजा हलचल का असर दूरगामी परिणाम के रूप में सामने आ सकता है।
स्थिर है कल्टीवेशन चार्ज
ट्रैक्टर बाजार की मानें तो इस बार विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं की वजह से किसानों ने ट्रैक्टर की खरीदी को लेकर अच्छा रुझान दिखाया है। इसलिए बोनी के काम में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल बनता नजर आ रहा है। यह किसानों के लिए राहत ही है क्योंकि स्पर्धा के बीच कल्टीवेशन चार्ज स्थिर बने हुए हैं। धीमी शुरुआत के बाद यह काम 800 से 900 रुपए घंटे में करवाया जा रहा है।
नया संकट
शॉर्ट सप्लाई की वजह से पेट्रोल पंपों के ड्राई होने की खबरें आने लगीं हैं। बोनी की तैयारी कर रहे किसानों पर नई विपदा क्या असर दिखाएगी ? यह फिलहाल तो स्पष्ट नहीं है क्योंकि डीजल की डिमांड में तेजी नहीं आई है। ट्रैक्टर मालिकों की अग्रिम तैयारी भी संकट को दूर रखे हुए हैं, लेकिन सप्लाई लाइन दुरुस्त नहीं की गई तो आने वाले दिन निश्चित ही कष्ट पहुंचाने वाले होंगे।
भंडारण की मनोवृत्ति नहीं
कमजोर आपूर्ति के बाद आम मनोवृति भंडारण की देखी जाती है लेकिन ट्रैक्टर मालिक इस बार इस धारणा से दूरी बनाए हुए हैं। इसलिए कल्टीवेशन चार्ज स्थिर बना हुआ है। इसमें बढ़ोतरी, शॉर्टेज जैसी प्रतिकूल स्थिति के बाद ही आने की धारणा व्यक्त की जा रही है।
संकट में यह क्षेत्र
अंतर प्रांतीय परिवहन का काम करने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनियों के लिए महाराष्ट्र आवाजाही फिलहाल कठिन और जटिल बन चुकी है। असर खाद्य प्रसंस्करण की उन इकाइयों पर दिखाई दे रहा है जिनके उत्पादन महाराष्ट्र जा रहे हैं। इसमें पोहा और चावल उत्पादन करने वाली यूनिटें मुख्य हैं, जिनके उत्पादन को गंतव्य तक पहुंचने में कम से कम 5 दिन का समय लग रहा है। यह इसलिए क्योंकि यह राज्य डीजल संकट का सबसे ज्यादा सामना कर रहा है।