मंडी के लिए बारिश का संदेश

भाटापारा। बारिश की पहली फुहार भले ही राहत का संदेश लेकर आई हो लेकिन कृषि उपज मंडी को इसने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि समय रहते बचाव के उपाय कर लें अन्यथा अनदेखी भारी पड़ सकती है।

मिली मीटर के पैमाने पर बारिश की शुरुआत अच्छी मानी जा रही है। इससे कृषि कार्यों की शुरुआत बेहतर तरीक़े से की जाने लगेगी लेकिन बंपर आवक के बीच ले-देकर काम कर रही कृषि उपज मंडी के आने वाले दिन, आगे चलकर निश्चित ही कई तरह की परेशानी से भरे होने वाले हैं क्योंकि प्रांगण की सतह की संरचना को सही नहीं माना जा रहा है। लिहाजा व्यवस्था ऐसी बनानी होगी, जिससे किसान, अभिकर्ता, मिलर्स और श्रमिकों को कम से कम नुकसान हो।

सबसे पहले यह

प्रांगण के भीतर की नालियां, हमेशा से बारिश के दिनों में परेशानी की वजह बनती रहीं हैं। बुधवार शाम हुई बारिश का असर  गुरुवार की सुबह उस वक्त नजर आया, जब नालियां जाम दिखाई दीं। आनन-फानन में सफाई शुरू करवाई गई। सफाई में निकलने वाले वेस्ट में कृषि उपज की मात्रा लगभग 90 फ़ीसदी थी। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नुकसान कितना होगा ? इसलिए ऐसी स्थिति से बचने के लिए नालियों के किनारे कृषि उपज रखने से बचने दूसरे और जरूरी उपाय करने होंगे।

इस पर ध्यान कब

बारिश के दिनों में सुचारू कार्य संचालन के लिए शेड बने हुए हैं लेकिन फिलहाल यहां महीनों से कृषि उपज रखी हुई है। यदि यह जगह खाली होगी, तो नीलामी और बाद के तमाम काम बिना नुकसान पूरे किए जा सकते हैं लेकिन इसे लेकर भी गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है। तकलीफ का फैलाव देखते हुए मंडी अभिकर्ता संघ ने फैसला लिया है कि रबी फसल की आवक कमजोर होते ही शेड में रखी कृषि उपज का विक्रय प्राथमिकता के आधार पर करवाया जाएगा।

तकलीफ सभी को

रबी फसल की भरपूर आवक के बीच अनलोडिंग, कटाई, नीलामी, भराई, तौलाई और फिर से लोडिंग जैसे काम में विलंब का होना सभी को परेशान कर रहा है। अभिकर्ता और मिलर्स, श्रमिक की संख्या बढ़ाने की जरूरत बता रहे हैं, तो मंडी प्रशासन की नजर में यह संख्या पर्याप्त है। अवकाश के दिनों में काम करवा कर व्यवस्था बनाने की कोशिश कर हालात सामान्य बनाए रखी जा रही है लेकिन स्थाई समाधान की राह खोजनी होगी, ताकि हर दिन आने वाली ऐसी तकलीफ से हमेशा के लिए निजात मिल सके।