महामाया को लगे पंख
भाटापारा। लंबे इंतजार के बाद उपभोक्ता राज्यों की मांग पोहा में निकलने लगी है। इसलिए मानकर चला जा रहा है कि बारिश के दिनों में भी यह मांग बनी रहेगी। इधर महामाया को तेजी का करंट लग चुका है। कारोबारी सप्ताह के पहले दिन प्रतिस्पर्धी माहौल में हुई खरीदी से भाव 1820 रुपए क्विंटल पर पहुंचता देखा गया।
पोहा मिलों के अच्छे दिन आने वाले हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि छत्तीसगढ़ से पोहा के खरीददार राज्यों की खरीदी की शुरुआत होने लगी है। दीर्घकाल से नुकसान में चल रहीं पोहा यूनिटें राहत की सांस लेती नजर तो आतीं हैं लेकिन काम के घंटे में कमी का फैसला बरकरार है। यह इसलिए क्योंकि नुकसान का बढ़ा हुआ आंकड़ा, यह मांग अभी भी पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
यहां से निकल रही मांग
छत्तीसगढ़ में उत्पादित पोहा की खरीदी मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और गुजरात से चालू हो चुकी है। लेकिन सबसे बड़ी मांग वाले महाराष्ट्र से, निकल रही मांग काफी कम है। महाराष्ट्र के दम पर ही पोहा के अंतरप्रांतीय कारोबार में छत्तीसगढ़ का दबदबा कायम है। लिहाजा इस राज्य से भरपूर मांग का अब भी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
इस भाव पर कारोबार
काम के घंटे कम किए जाने के फैसले के बाद खरीददार राज्यों की मांग के बावजूद पोहा की कीमत स्थिर बनी हुई है। यूनिटें अभी भी 2700 से 3300 रुपए क्विंटल की कीमत पर ही सौदे ले रहीं हैं। इसमें तेजी के आसार फिलहाल नजर नहीं आते क्योंकि मांग का स्तर संतोषजनक नहीं पाया जा रहा है।
स्टॉक के लिए धान की खरीदी
बारिश के दिनों में पोहा क्वालिटी के धान की आवक कमजोर रहती है ।इसलिए यूनिटों ने इस अवधि में मिलों के नियमित संचालन के लिए खरीदी चालू कर दी हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ने लगी है। असर महामाया में तेजी के रूप में दिखाई देने लगा है। कारोबारी सप्ताह के पहले दिन महामाया में भाव 15 सौ रुपए पर खुला और 1820 रुपए क्विंटल पर बंद हुआ।
उपभोक्ता राज्यों की मांग से पोहा मिलों का संचालन सुचारू रुप से चल रहा है। इसमें सुधार की संभावना है।
– रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा