छत्तीसगढ़ को एक्सपोर्ट आर्डर का इंतजार

रायपुर । राहत, घरेलू मांग का निकलना। आफत यह है कि इस मांग के दम पर भंडारण की विशाल मात्रा कम नही की जा सकती। लिहाजा भाव 2700 रुपये क्विंटल पर अटका हुआ है। जी हां बात हो रही है उस चरौटा की जो चीन से मिलने वाले आर्डर की राह देख रहा है।

90 का दशक था, जब छत्तीसगढ़ के चरौटे को वैश्विक पहचान मिली। मेडिशनल प्रापर्टीज को लेकर हुए रिसर्च में खुलासे ने छत्तीसगढ़ को पहचान दुनिया में पहली बार तब दिलाई, जब पहला आर्डर चीन से मिला। राह और खुलती गई। इसमें जापान, मलेशिया और ताईवान जैसे नए खरीददार देश भी जुड़े। यह देखकर संग्रहण का काम विस्तार लेता गया लेकिन कोरोना महामारी ने फलते-फूलते रोजगार के इस मजबूत माध्यम को जैसा नुकसान पहुंचाया उसके दो साल गुजर जाने के बाद भी राहत नही मिली है। संक्रमण का दौर कम होते ही एक बार फिर से यह क्षेत्र तैयार हो रहा है।

भंडारण है इतना

बस्तर, गरियाबंद, सरगुजा के अलावा मैदानी क्षेत्रों से संग्रहित चरौटा का भंडारण लगभग 2 हजार मीट्रिक टन के आसपास बताया जा रहा है। निर्यात की राह देख रहे छत्तीसगढ़ को उम्मीद है कि कारोबारी रिश्ते में सुधार की बन रही संभावनाओं से यह क्षेत्र संकट के दौर से मुक्त होगा।इसलिए अब ध्यान घरेलू बाजार की ओर है।

इंतजार खरीददार का

छत्तीसगढ़ का चरौटा, मूलतः चीन ही खरीदी करता है। जापान, ताईवान और मलेशिया भी खरीददार रहते आए हैं। लेकिन महामारी के दौर में इन सभी देशों ने निर्यात पर बंदिश लगा रखी है। उम्मीद केवल चीन से ही हैं, जिसने कारोबारी रिश्ते बहाली की ओर कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इसकी खरीदी से भी तीन अलग विदेशी खरीददारों से निर्यात के आर्डर की संभावना बन सकेगी।

फिलहाल ऐसी है कीमत

निर्यात सौदा की राह देख रहे छत्तीसगढ़ के चरौटे की डिमांड इस समय घरेलू बाजार में बनी हुई है। कीमत भले ही 2700 रुपये क्विंटल पर अटकी हुई है लेकिन राहत ही मानी जा रही है कि छिटपुट मांग तो है। मालूम हो कि घरेलू बाजार में औषधि निर्माण इकाईयां ही चरौटा की खरीदी कर रहीं हैं।

इंतजार चीन की मांग का

2 हजार मीट्रिक टन के स्टॉक के बाद निर्यात सौदे का इंतजार है। कारोबारी रिश्ते की बहाली की दिशा में उठते कदम के बाद चीन से मांग की प्रतीक्षा है।
-सुभाष अग्रवाल, संचालक,एस पी इंडस्ट्रीज,रायपुर