पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान से भी निकल रही पुराने बारदानों की मांग

भाटापारा। जब चाहें तब उपलब्धता जैसी स्थितियों के बाद ओल्ड जूट बैग के लिए भाटापारा का नाम उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रमुखता के साथ लिया जाने लगा है। आलू की नई फसल भले ही शीत ऋतु में आएगी लेकिन स्टॉकिस्टों ने पुराने बारदाने में पूछताछ के साथ अगाऊ सौदे भी चालू कर दिए हैं।

जूट की खेती के लिए भले ही पश्चिम बंगाल और असम का नाम लिया जाता हो लेकिन जूट के बारदाने के लिए आज यह दोनों राज्य भी छत्तीसगढ़ के भाटापारा पर ही निर्भर हो चले हैं। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ की पहचान उत्तर प्रदेश के बाद बिहार, पंजाब, मध्यप्रदेश के उन क्षेत्रों में भी बढ़ रही है, जहां आलू की खेती और मंडियां संचालित हो रहीं है। सीजन, आलू की फसल के लिए भले ही, चार माह बाद आएगा लेकिन ओल्ड जूट मार्केट ने तैयारी अभी से चालू कर दी है। ताकि मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना रहे।यहां से एडवांस सौदा

यहां से एडवांस सौदा

ओल्ड जूट बैग हो या पैबंद लगे बारदाने, उत्तर प्रदेश की मांग वाले क्षेत्र की सूची में भाटापारा का नाम शिखर पर है। मिल रही खबरों के मुताबिक यू पी के मेरठ,कन्नौज, मथुरा, हापुड़, फर्रुखाबाद और सीतापुर से ओल्ड जूट बैग की मांग के संकेत मिल रहे हैं। इन शहरों के स्टॉकिस्टों की पूछताछ और एडवांस सौदे की जानकारियां आने लगी है।

बिहार और एम पी भी

पड़ोसी मध्यप्रदेश के इंदौर के आसपास के बारदाना कारोबारियों ने भी पूछताछ के संकेत दिए हैं। आलू की इंदौर मंडी में कामकाज ढीला है इसलिए स्टॉकिस्ट नई फसल के भंडारण के लिए पुराने बारदाने की खरीदी की ओर ध्यान दे रहें हैं क्योंकि भाव अभी क्रयशक्ति के भीतर ही है। कुछ ऐसा ही हाल बिहार प्रांत का भी है। पुराने बारदाने के लिए हमेशा से उत्तर प्रदेश पर निर्भर रहने वाले इस प्रदेश ने भी भाटापारा से ही खरीदी का संकेत दिया है।

प्रतिस्पर्धा के बाद ऐसे हैं भाव

प्रदेश में बारदाना का सीजन ऑफ हो चुका है। इसलिए पुराने जूट बैग के काऊंटरों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, असम और राजस्थान से पूछताछ और भाव की स्थिति जानी जा रही है। हल्की प्रतिस्पर्धा के बीच आलू के लिए जरूरी पुराने बारदाने की कीमत 20 रुपये प्रति नग बताई जा रही है। सीमित खरीदी के बावजूद 4 से 5 रुपये टूट की आशंका जताई जा रही है।