बारीक धान का संकट
बलौदाबाजार। पहले मंडी टैक्स में वृद्धि ने संकट में डाला। अब धान की बारीक किस्मों की कमी का सामना कर रहीं हैं सुगंधित चावल का उत्पादन करने वाली इकाईयां। क्षमता के अनुरूप धान की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में परिचालन 12 से 16 घंटे ही, हो पा रहा है। स्थितियों में जल्द सुधार नहीं हुए, तो काम के घंटे में और कमी की योजना है।
अपना छत्तीसगढ़ और अपना भाटापारा, सुगंधित चावल उत्पादन के लिए देश में अलग ही पहचान रखता है। तमाम दिक्कतों के बावजूद उत्पादन की गति सामान्य बनाए रखीं लेकिन ताजा संकट जैसा रूप लेकर आ रहा है, उसके बाद विचार यही है कि काम के घंटे का कम किया जाना ही पहला और अंतिम उपाय होगा। संकट, उत्पादन क्षमता के अनुरूप धान का नहीं मिलने के रूप में सामने आ चुका है। इसमें सुधार की फिलहाल कोई संभावना नहीं देखी जा रही है।
चाहिए रोज 2500 क्विंटल
सुगंधित चावल बनाने वाली राईस मिलों को उत्पादन और मांग के बीच संतुलन बनाकर चलने के लिए प्रतिदिन 2000 से 2500 क्विंटल बारीक धान की जरूरत होती है। फिलहाल उपलब्धता की स्थिति बिल्कुल आधे पर आकर ठहरी हुई है। इसकी वजह से मांग वाले क्षेत्रों को समय पर चांवल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यह बढ़ती कीमत के रूप में उपभोक्ता मांग तक पहुंच रहा है।
यहां से मांग का दबाव
सुगंधित चावल के लिए भरोसेमंद अपने शहर से महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश, बिहार को चांवल की आपूर्ति होती है। सीजन की वजह से इन प्रांतों से लगातार मांग निकल रही है, लेकिन धान की उपलब्धता बेहद सीमित होने की वजह से इन राज्यों को छह से आठ दिन बाद आपूर्ति की जा रही है जबकि सामान्य दिनों में यह समय 2 से 3 दिन का ही होता था। ऐसी स्थितियों में प्रतिस्पर्धी राज्य की ओर मांग का प्रवाह बढ़ता नजर आता है।
होंगे कम, काम के घंटे
मंडी टैक्स में वृद्धि के बोझ से पहले ही दबी राईस मिलों के लिए नया संकट जिस तरह और जिस रूप में पहुंच चुका है उसके बाद मिलों के परिचालन के समय में कमी लाने के सिवाय दूसरा उपाय फिलहाल नजर नहीं आ रहा है। जैसी राय बन रही है उसके मुताबिक काम का समय 10 से 14 घंटे पर लाया जा सकता है।
ऐसा है उत्पादन क्षेत्र
जिले में छोटी-बड़ी मिलाकर आधा दर्जन ऐसी राईस मिलें हैं, जहां सुगंधित चावल बनते हैं। नियमित संचालन के लिए इन मिलों को प्रतिदिन 2000 से 2500 क्विंटल बारीक धान की जरूरत होती है। यह मात्रा फिलहाल आधी पर आकर ठहर चुकी है, इसलिए संकट निरंतर गहरा होता जा रहा है।
मंडी टैक्स में जैसी वृद्धि हुई है उससे परिचालन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। वर्तमान स्थितियां इस संकट को और बढ़ा रही हैं। इसलिए काम के घंटे कम किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
देवेंद्र भृगु , अध्यक्ष, जिला राईस मिल एसोसिएशन, बलौदा बाजार