बारीक में बढ़ रही कीमत
भाटापारा। शनिवार देर शाम, रविवार पूरा दिन और सोमवार सुबह की आवक को मिलाकर आवक 40 से 45 हजार कट्टा के बाद आशंका थी, व्यवस्था के बिगड़ने की लेकिन मंडी प्रबंधन और अभिकर्ताओं के बीच सामंजस्य ने इस संकट को दूर बनाए रखा। एक दिक्कत जरूर आ रही है कि भाव ने टूट का रास्ता पकड़ लिया है। यह और कितना नीचे जाएगा ? यह तो आने वाले दिन ही बताएंगे।
चालू माह के पहले दिन से बनी अव्यवस्था धीरे-धीरे दूर होती नजर आती है। मांग से ज्यादा आवक के बाद भाव टूट तो रहे हैं लेकिन इसे बाजार का एक ट्रेंड ही समझा जाना सही होगा। खरीफ तैयारियां करनी हैं, इसलिए किसान आवक बढ़ा रहे हैं। सलाह और समझाईश दी थी लेकिन दबाव नही डाला गया। ऐसे दिन कब तक बने रहेंगे ? जैसे सवाल पूछे जाने पर जवाब यही मिल रहा है कि कम से कम मानसून की दस्तक तक तो यह दृश्य बने रहेंगे।
जरूरत से ज्यादा
मोटा धान से पोहा बनाने वाली यूनिटों की प्रतिदिन की मांग लगभग 35 से 40 हजार कट्टा की मानी जाती है। आवक इससे दोगुनी हो रही है।ऐसे में भाव ने गोता लगाना चालू कर दिया है। यह और कितना नीचे जाएगा ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि प्रांगण से बाहर भी खरीदी का क्रम जारी है। बताते चलें कि सोमवार की आवक 40 से 45 हजार कट्टा में से 90 फ़ीसदी हिस्सेदारी पोहा क्वालिटी के धान की ही रही।
यह देख रहे आवक का रास्ता
कुल आवक में पोहा क्वालिटी के धान की बढ़ती हिस्सेदारी के बाद सुगंधित चावल बनाने वाली राईस मिलें संकट में बताई जा रहीं हैं। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन 2000 से 2500 क्विंटल की मांग वाली ऐसी राईस मिलें, संचालन में कमजोर आवक के संकट का सामना कर रहीं हैं। सुधार की उम्मीद बारिश के दिनों में ही बनती नजर आती है। इसलिए यह क्षेत्र इंतजार कर रहा है।
ऐसे हैं भाव
बंपर आवक के बीच कारोबारी सप्ताह के पहले दिन, महामाया में 1300 से 1550 रुपए क्विंटल में सौदे हुए। सरना में लिवाली 1700 रुपए क्विंटल पर रही। एचएमटी 2200 से 2500 रुपए क्विंटल, विष्णु भोग में 3300 से 3400 रुपए क्विंटल पर कारोबार होने की खबर है। सियाराम 2200 से 2400 रुपए तो राम जीरा में लिवाली 3500 रुपये क्विंटल पर रही।