जांच और कार्रवाई अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी
भाटापारा। 15 नहीं, 25 हजार मास्क। प्रदेश भर में चल रही चालान की कार्रवाई के बाद मास्क की मांग में जोरदार इजाफा का होना देखा जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल, उस हेलमेट का भी है, जिसकी बिक्री भी बढ़त ले रही है। इधर मास्क में मांग का दबाव, मेडिकल मार्केट के अलावा खुले बाजार पर भी दिखाई दे रहा है, जो डिजाइनर मास्क बेच रहा है।
ओमीक्रॉन की धमक और कोरोना की तीसरी लहर आने से देश भर में हलचल और बेचैनी साफतौर पर देखी जा रही है। संक्रमण से बचाव के उपलब्ध संसाधनों में, मास्क सबसे बड़ा हथियार अब भी बना हुआ है। यह प्रमाणित भी हो चुका है। इसे किनारे किए जाने के प्रयास के बाद, बढ़ते मामले को देखते हुए सभी जिलों में जागरूकता अभियान के साथ, चालान की कार्रवाई भी तेज गति से चालू कर दी गई है, असर खरीदी- बिक्री में बढ़त के रूप में दिखाई दे रहा है।
पहले दिन 10 हजार का इजाफा
मास्क को लेकर बन चुकी दूरी, अब महंगी पड़ रही है। शहरी क्षेत्रों में सघन जांच के बाद बाजार में मांग का दबाव बढ़ा और बिक्री का जो आंकड़ा प्रदेश स्तर पर 10 हजार मास्क प्रतिदिन का बना हुआ था, वह बढ़कर 25 हजार पर जा पहुंचा। देर शाम तक इसकी संख्या बढ़त ले रही थी। मेडिकल मार्केट, इस आंकड़े को 40 हजार तक जाने की संभावना व्यक्त कर रहा है।यहां से मांग ज्यादा
यहां से मांग ज्यादा
संक्रमण की संख्या को लेकर प्रदेश भर में चर्चा के केंद्र बिंदु बन रहे रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और कोरबा जिले से मास्क की मांग, सबसे ज्यादा निकल रही है। इस बढ़त के पीछे जागरूकता तो एक वजह है ही, साथ ही चालान की कार्यवाही भी बड़ी वजह बन रही है। इन जिलों के अलावा लगभग सभी जिलों में ऐसी कार्रवाईयां, मास्क की बनती मांग को बढ़त दे रहीं हैं।
हैलमेट खुश हुआ
यातायात नियमों के पालन को लेकर साथ-साथ चल रही कार्रवाई में बड़ी संख्या में ऐसे वाहन चालक भी जांच के घेरे में आए, जिन्होंने हैलमेट नहीं पहना हुआ था। ऐसे वाहन चालकों को फटकार के साथ चालान की रसीदें भी थमाई गई। यह कार्रवाई, उन दुकानों तक वाहन चालकों को पहुंचा गई, जहां हेलमेट की बिक्री हो रही है।
100 चालान,10 हजार की वसूली
तगड़ी जांच की इस कार्रवाई के पहले दिन, रिकॉर्ड 100 ऐसे व्यक्ति बिना मास्क के मिले जो अपनी इस गतिविधि को गलत नहीं बताते हैं। लेकिन एसडीएम लवीना पांडे, प्रशासन और पुलिस के तेवर को देख कर चुपचाप चालान भर दिया गया। सहयोग देना उचित समझा। इनसे 10 हजार रुपए अर्थ दंड के रूप में लिये गये।