- स्टूडेंट्स बोले- डर तो लगा, लेकिन सेफ्टी के लिए जरूरी
- बिलासपुर। टीनएजर्स का कोरोना वैक्सीनेशन सोमवार से शुरू हो गया है। जिले में 62 सेंटर्स पर टीके लगाए गए। इसके लिए शहर में 11 तो ग्रामीण इलाकों में 51 सेंटर बनाए गए। वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑनस्पॉट दोनों तरह से हो रहे हैं। सुबह 11 बजे नर्मदा नगर निवासी व दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र शाश्वत तिवारी ने जिला अस्पताल में सबसे पहले टीका लगवाया। उसने कहा कि मैं टीका लगवाने के लिए बहुत एक्साइटेड था। जबकि मेरी मां मुझे कह रही थी अभी मत लगवाओ। पहले कुछ लोगों को लग जाए इसके बाद लगवाना। मोहल्ले के लोगों ने भी मुझे पहले दिन टीका लगवाने के लिए रोका लेकिन मेरा मन कह रहा था कि सबसे पहले मैं टीका लगवाऊंगा ताकि दूसरे बच्चे मेरे हौसले को देखकर टीका लगवाएं और आगे बढ़ें। पहले दिन बिलासपुर टीनएजर्स के वैक्सीनेशन में भी पिछड़ा हुआ दिखा। क्योकि 7187 को ही टीके लगे हैं, जबकि पहले दिन का लक्ष्य 18 हजार था। वैक्सीनेशन सुबह 1० से 5 बजे तक चलता रहा। अस्पताल के अलावा स्कूलों में भी टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पहंुची। पहले ही दिन टीम देर से स्कूल पहुंची इसके कारण वैक्सीनेंशन देरी से शुरू हुआ। बच्चों को को- वैक्सिन लगाई जा रही है। इसके दूसरे डोज की अवधि 28 दिन बाद आती है। यानी जो बच्चे 3 जनवरी को वैक्सीन लगवाएंगे, वे दूसरा डोज इसी माह के अंतिम दिन में लगा सकेंगे। जिले में करीब ढ़ेड लाख बच्चे हैं।

बच्चे बोले, पहले डर लगा, लेकिन वैक्सीन जरूरी
वैक्सीनेशन के बाद बच्चे बोले- शुरुआत में डर लगा, लेकिन टीका लगवाना बेहद जरूरी है। होली क्रॉस स्कूल के स्टूडेंट 15 वर्षीय छवि नामदेव ने सिम्स में वैक्सीन लगवाते हुए कहा कि टीका लगवाना देश सेवा के समान है। आधारशिला विद्या मंदिर के स्टूडेंट प्रांजल प्रजापति 17 वर्ष का कहना था कि पहले डर लग रहा था, लेकिन ये सेफ्टी के लिए जरूरी है। और कृष्णा पब्लिक स्कूल के सोनम कुमावत 15 वर्ष ने कहा कि हमारी इच्छा थी कि हमें वैक्सीन लगे।
अभिभावक व प्रचार्यों ने कहा- अपने दिन याद आए जब इस तरह बीसीजी का लगा था इंजेक्शन
सोमवार को जब 15 से 18 वर्ष तक के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो पहले दिन कुछ अभिभावक भी उनके हौसला बढ़ाने के लिए स्कूल और अस्पताल पहंुचे थ्ो। प्रचार्य और शिक्षकों ने भी उनको टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया इस दौरान उन्होने बताया कि ये दृश्य देख हमें अपना जमाना याद आ गया। 2० -25 साल पहले इसी तरह स्कूलों में भी बीसीजी सहित अन्य टीका लगाया जाता था। गुरुजी बच्चों को घर से पकड़ पकड़ कर लाते थ्ो। इंजेक्शन के डर से कई दिनों तक विद्यार्थी स्कूल ही नहीं आते थ्ो। तब का लगा टीका आज भी याद है। उस टीके को लगवाने के बाद बुखार भी आती थी साथ ही भुजा में एक निशान बन जाती थी जो आज भी दिख रहा है।