4 देशों को हो रहा निर्यात, घरेलू मांग में भी मजबूती
रायपुर। गम उत्पादक इकाइयों की मांग से चरोटा 3600 रुपए क्विंटल का नया कीर्तिमान अपने नाम कर चुका है। इधर एक्सपोर्ट की भी मांग निकल चुकी है, ऐसे में तेजी की संभावना प्रबल हो चली है।
यूं ही तैयार हो जाने वाला चरोटा, हर बरस भाव में नया रिकॉर्ड अपने नाम करता जा रहा है। कोरोना के शुरुआती महीनों में निर्यात बंद होने से कीमत जरूर कम रही लेकिन चीन, मलेशिया और ताईवान की खरीदी फिर से भारतीय चरोटा में निकल चुकी है। इसलिए पेंड्रा, गौरेला, मरवाही और शहडोल की फसल को बेहतर कीमत मिल रही है लेकिन गुणवत्ता के दम पर गरियाबंद और सरगुजा अभी भी सिरमौर बना हुआ है।
इनकी खरीदी जोरदार
छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों की गम बनाने वाली यूनिटों की भरपूर मांग निकल रही है। बबूल ,नीम के अलावा गोंद के लिए जाने- पहचाने पेड़ों के गम की तुलना में चरोटा की कीमत अच्छी खासी कम है। इसलिए इकाइयां चरोटा की खरीदी को प्राथमिकता दे रहीं हैं। इसलिए तेजी बनी हुई है। भविष्य तेजी सूचक बने हुए हैं।
भरपूर एक्सपोर्ट ऑर्डर
कोरोला काल में निर्यातक देशों की खरीदी बिल्कुल बंद थी। स्थिति सामान्य होते ही चीन, मलेशिया, ताइवान और जापान जैसे देशों की खरीदी भारतीय चरोटा में निकल चुकी है। इसलिए इसमें एक्सपोर्टस की भी खरीदी निकली हुई है। लिहाजा घरेलू बाजार में स्थानीय खरीददार और निर्यातकों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की वजह से भाव में तेजी बनी हुई है।
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यहां के उत्पादन मांग में
प्रदेश में सरगुजा, गौरेला, पेंड्रा, मरवाही, जशपुर के अलावा रायपुर और बिलासपुर से भी भरपूर मात्रा में चरोटा की आवक बाजार में बनी हुई है, लेकिन सरगुजा और गरियाबंद की फसल को अपेक्षाकृत बेहतर भाव मिल रहे हैं। निर्यातक और घरेलू बाजार, इन्हीं क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
तेजी की संभावना
भरपूर फसल और भरपूर मांग से चरोटा में भाव 3200 से 3600 रूपए क्विंटल तक पहुंचे हुए हैं, जबकि पुरानी फसल में कीमत 2500 रूपए क्विंटल बोली जा रही है। जैसे संकेत मिल रहे हैं, उसे देखते हुए आने वाले महीनों में 4500 से 4600 रुपए क्विंटल तक जाने के प्रबल आसार हैं क्योंकि प्रतिस्पर्धा का माहौल बना हुआ है।
गम उत्पादक इकाइयों और निर्यातकों की मांग से भाव में तेजी बनी हुई है। आने वाले दिन भी ऐसे ही रहने की संभावना है।
- सुभाष अग्रवाल, संचालक, एस पी इंडस्ट्रीज, रायपुर