अगस्त से आबंटन नहीं, समूहों पर बढ़ रहा कर्ज का बोझ
बलौदा बाजार। मध्यान्ह भोजन कक्ष में कभी भी ताला लग सकता है क्योंकि स्व सहायता समूहों को पिछले 5 महीने से भुगतान नहीं मिला है और किराना दुकानों ने अब और उधार देने से मना कर दिया है।
मध्यान्ह भोजन और तकलीफ एक दूसरे के पूरक हमेशा से रहे हैं। लेकिन इस दफा यह तकलीफ कुछ ज्यादा ही बनी हुई है, कोरोना काल के बाद सामान्य दिनचर्या में लौटते दिनों में एक बार फिर से मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने की स्थिति आती नजर आ रही है क्योंकि राशि के आबंटन में एक या दो नहीं पूरे 5 माह का विलंब हो चुका है। जिला शिक्षा विभाग प्रयास तो कर रहा है, लेकिन सफलता कोसों दूर है।
अगस्त से है बंद
जिले की स्कूलों में बनने वाले मध्यान्ह भोजन की राशि के आबंटन का बंद होना माह अगस्त से जो शुरू हुआ, वह आज तक जारी है। समूहों ने बाजार से उधार में राशन सामग्री की व्यवस्था की और मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था बनाए रखी लेकिन अब हालत बेहद पतली हो चली है क्योंकि उधार की रकम तेजी से बढ़ रही है।
नहीं मिले इसके भी पैसे
कोरोना काल में मध्यान्ह भोजन की जगह सूखा राशन देने की योजना का एक कड़वा सच, यह है कि 16 जून के बाद के महीने में भी यह व्यवस्था उधार पर बनाई गई। इसके पैसे भी अभी तक समूहों को नहीं मिल पाए हैं। इस तरह सूखा राशन और मध्यान्ह भोजन के लिए भी उधार में व्यवस्था करनी पड़ी।
बाजार का इनकार
जिला शिक्षा विभाग को जो जानकारी स्व सहायता समूहों ने भेजी है, उसके मुताबिक बाजार से अब राशन सामग्री का मिलना मुश्किल हो चला है। बाजार का कहना है कि उधार की रकम वापसी के बाद ही दे पाएंगे राशन। इस तरह की स्थिति में मध्यान्ह भोजन बनाया जाना, फिलहाल तो कठिन ही दिखाई दे रहा है।
जिले में हैं इतने समूह
जिले की स्कूलों में बनने वाले मध्यान्ह भोजन के काम का जिम्मा 1831 समूहों पर है। भाटापारा विकासखंड में यह काम 583 समूहें कर रहीं है। यह सब, अब लाचार हो चली है और तेजी से किनारा करने की तैयारी में है। ऐसे में यदि आबंटन जल्द जारी नहीं हुआ तो मध्यान्ह भोजन कक्ष में ताला लग सकता है।
यह सही है कि समूहों को मध्यान्ह भोजन की राशि का आबंटन जारी नहीं हुआ है। इसके लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है।
- सी. एस. ध्रुव, जिला शिक्षा अधिकारी, बलौदा बाजार