अब किसान हो रहे परेशान
भाटापारा। स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं। इसलिए चेकपोस्ट से गुजरने वाले किसानों से उनकी कृषि उपज के बारे में जानकारी ली जा सकती है। परेशानी उन किसानों को होगी जो अपनी उपज, कृषि उपज मंडी में बेचना चाहते हैं।
परेशानी और किसान, अब एक ही सिक्के के दो पहलू बनते जा रहे हैं। मानसून, बोनी, खाद-बीज से लेकर धान बेचने के बाद, भुगतान तक के हर चरण में जैसी दिक्कत का सामना किया जा रहा है, वह केवल हताशा ही पैदा कर रही है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने अवैध बिक्री पर रोक के लिए बने चेकपोस्ट बहुत जल्द ऐसे किसानों के लिए परेशानी की वजह बन सकते हैं, जो अपनी उपज बेचने, कृषि उपज मंडी आ रहे हैं। विवशता है चेक पोस्ट पर तैनात कर्मचारियों की, इसलिए पूछताछ तो होगी ही क्योंकि ऐसे किसानों की निर्बाध आवाजाही के लिए साफ निर्देश, अब तक जारी नहीं किए गए हैं।
संकट यहां के किसानों के लिए
प्रदेश की बड़ी कृषि उपज मंडियों में से एक, भाटापारा कृषि उपज मंडी में बिलासपुर, कवर्धा, मुंगेली, बेमेतरा और दुर्ग जिले के किसानों की उपज हमेशा से आती रही है। जिले की सीमा पर स्थापित जांच चौकियां, अब इन जिलों के ऐसे किसानों के लिए सिरदर्द बनने वाली हैं, जो अपनी उपज बेचने आना चाहते हैं।
विवशता इनकी भी
अवैध धान के परिवहन पर रोक लगाने के उद्देश्य से सीमा पर बनी जांच चौकियों में जिन कर्मचारियों को तैनात किया गया है, उनकी विवशता यह है कि जांच को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश अब तक नहीं मिले हैं। लिहाजा उन्हें कृषि उपज लेकर जिले में प्रवेश कर रही हर वाहन की जांच करनी पड़ रही है। संदेह होने पर उपर के अधिकारियों से निर्देश मांगे जा रहे हैं। ऐसे में किसानों की तरह उनकी भी विवशता और परेशानी समझी जा सकती है।
बीते बरस ऐसी थी व्यवस्था
बीते बरस समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के दौरान बनी ऐसी जांच चौकियों में कृषि उपज लेकर आने वाले वाहनों की जांच के दौरान किसान ऋण पुस्तिका साथ रखने के निर्देश थे। इसके अलावा संबंधित गांव के सरपंच व पंचायत सचिव द्वारा जारी पत्र, जिसमें ग्राम का नाम, कृषि उपज के स्थानीय होने की जानकारी का स्पष्ट उल्लेख करने के नियम थे । इस पत्र के आधार पर कृषि उपज मंडी के लिए परिवहन की अनुमति थी।