कोरबा, बिलासपुर के बाद, अब बढ़ रही फौज, रायपुर की ओर

बिलासपुर। सेमिलूपर कैटरपिलर कीट की फौज कोरबा और बिलासपुर में तबाही मचाने के बाद अब राजधानी रायपुर की ओर बढ़ रही है। राह में पड़ने वाले गुलमोहर और पेल्टाफार्म प्रजातियों के वानिकी वृक्ष सहज ही इस फौज का निशाना बन रहे हैं। हमला के बाद मृतप्रायः होते, यह वृक्ष वानिकी वैज्ञानिकों को चिंता में डाल चुके हैं।

वानिकी वृक्षों की तीन प्रजातियां संकट के दौर का सामना कर रहीं हैं। यह संकट सेमिलूपर कैटरपिलर नामक उस कीट के रूप में सामने है, जिसे गुलमोहर, पेल्टाफार्म और सुबबूल प्रजाति के वृक्षों के लिए सबसे ज्यादा घातक माना जाता है। मौसम और समय का पूरा साथ मिल रहा है इसलिए इस कीट की बड़ी फौज अपने रास्ते में आने वाले वृक्षों को पत्तियां विहीन कर रहीं हैं। हमले के बाद सूखते पेड़ तेजी से मर रहे हैं।


जानिए सेमिलूपर को

सितंबर और अक्टूबर माह में सक्रिय रहने वाला यह कीट पेरीकायमा क्रूजेरी परिवार से संबंध रखता है। मादा सेमिलूपर कैटरपिलर अपने अंडे इन्हीं प्रजाति के पेड़ों की पत्तियों पर देतीं हैं। इनके अंडों का रंग पीला और नीला होता है। जिसमें 3 दिन बाद कीट की नई प्रजाति बाहर आ जाती है। पांच चरण में परिवार बढ़ाने वाला यह कीट नए परिवार बनाने के बाद आगे बढ़ जाता है। पीछे रह गए अन्य सदस्य, पत्तियों को तेजी से खाते हैं। जिससे प्रकाश संश्लेषण बाधित होता है और पेड़ की मौत हो जाती है।


होते हैं पंख भी…

वानिकी वृक्षों को नुकसान पहुंचाने वाला सेमिलूपर कैटरपिलर कीट के पंखों का फैलाव 4 सेंटीमीटर तक माना गया है। भूरे रंग से इनकी पहचान सुनिश्चित होती है। तेजी से अपना परिवार पत्तियों पर बढ़ाते हैं।


पहचान और उपचार

सेमिलूपर कैटरपिलर गुलमोहर, पेल्टाफार्म और सूबबूल जैसे वानिकी वृक्षों के लिए खतरनाक कीट माना जाता है। सूखती टहनियां और तना कीट प्रकोप की सबसे आसान पहचान है। उपचार के लिए क्लोरोपॉयरीफास और साइपरमेथिन के छिड़काव की सलाह जारी की गई है। घरेलू उपचार में नीम की पत्तियों या नीम तेल का स्प्रे किया जा सकता है।


एक बार में 450 अंडे

सेमिलूपर कैटरपिलर की मादा एक बार में 450 अंडे देती है, जिसमें से दो-तीन दिन में लार्वा कैटरपिलर निकल जाते हैं l यह कैटरपिलर शरीर को आधा लूप के आकार में मोड़ कर गति करता है l जिस कारण इसे सेमिलूपर कहते हैं l वृक्षों में आक्रमण कर यह तेजी से वृक्ष की पत्तियों को चट कर जाती है l


डॉ. अजीत विलियम्स, वैज्ञानिक (वानिकी), बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर