प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर नींबू और आंवला भी जमीन पर

बिलासपुर। कोरोना के शुरुआती दिनों में जमकर बिकने वाला काढ़ा, अब दवा दुकानों के लिए सिरदर्द बन रहा है क्योंकि बिक्री तो दूर, पूछ-परख तक नहीं है। लिहाजा बिकने से रह गए काढ़ा के पैकेट अब कंपनियों को वापस करने की तैयारी है।

प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में कारगर माने गए काढ़ा के सेवन की सलाह केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने जारी की हुई है। नहीं मिलने की स्थिति में घर पर ही बनाने की विधियां भी बताई गई थी। इसलिए दवा उत्पादन कंपनियों ने भी इसका उत्पादन करना शुरू कर दिया। अब संक्रमण की कम होती संख्या के बीच, काढ़ा की उपयोगिता नहीं के बराबर मानी जा रही है, ऐसे में बिक्री पर ताला लग चुका है।


100 से 500 रुपए तक

कोरोना से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर माना गया काढ़ा की उपयोगिता प्रमाणित होने के बाद स्थानीय के अलावा देश की कई बड़ी और प्रतिष्ठित दवा उत्पादन कंपनियों ने अच्छी- खासी मात्रा में पैक लॉन्च किए थे। हर वर्ग की क्रय शक्ति के लिए बनाए गए काढ़ा के यह पाउडर पैक उपभोक्ताओं तक 100 से 500 रुपए तक में पहुंचे।


अब जीरो

संक्रमण की कम होती संख्या के बाद काढ़ा का बाजार तेजी से कम होता गया ।अब पूछ-परख और मांग दोनों शून्य पर आ चुकी है। लिहाजा दवा दुकानों के लिए यह परेशानी बढ़ा रहे हैं। इसलिए निर्माता कंपनियों को वापस किए जाने की तैयारी है। प्रयास जारी हैं, लेकिन सफलता अब भी दूर है।


इसमें भी दबाव नहीं

नींबू और आंवला को भी प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रखने में सहायक माना गया था। जारी एडवाइजरी के बाद इन दोनों में मांग का दबाव इतना बढ़ा कि नींबू 100 रुपए किलो की ऊंचाई पर पहुंच गया। अब यह 40 से 50 रुपए किलो पर आ चुका है, जबकि आंवला की कीमत इस समय 50 से 60 रुपए किलो पर चल रही है। कोरोना काल में इसने 120 रुपए किलो की हैरत करने वाली कीमत अपने नाम कर ली थी।