ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर शून्य
दो गज की दूरी, नहीं है जरूरी
बिलासपुर। भला हो उस नियम का, जिसने मास्क और कार्यस्थल पर सैनिटाइजर को अनिवार्य किया हुआ है। नहीं होता यह नियम तो इन दोनों को कब से, बाहर का रास्ता दिखा दिया गया होता। बेखौफ आवाजाही और मेलजोल ने दो गज की दूरी जैसे सतर्क करने वाले शब्द की धज्जियां उड़ा कर रख दी है।
संक्रमण का अंदेशा बरकरार है। बार-बार दी जा रही चेतावनी या सलाह जिस तरह दरकिनार की जा चुकी है, उससे यह क्षेत्र अब इकाइयों से मांग नहीं कर रहा है उन उपकरणों की जो संक्रमण की पहली पहचान सुनिश्चित करते हैं। उदासीनता और लापरवाही की हद ही कही जा सकती है कि मास्क और सैनिटाइजर की खरीदी, केवल नियम मानने के लिए की जा रही है, तो ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर का मार्केट जीरो पर आ चुका है। जरूरी दवाइयों की बिक्री तो दूर, इन्हें किस तरह व्यवस्थित किया जाए ? अब इसकी चिंता बाजार को है।
इसलिए मास्क और सैनिटाइजर
इसलिए मास्क और सैनिटाइजर
कार्यस्थल पर मास्क और सैनिटाइजर के नियम हैं इसलिए इनकी बिक्री और खपत हो रही है। लेकिन मात्र 10 प्रतिशत ही रह गया है इसका बाजार। चौक- चौराहों में हो रही जांच से भी यह मांग में बना हुआ है। शासकीय और निजी क्षेत्र के कार्यस्थल में ही उपयोग ने सैनिटाइजर को बचा कर रखा हुआ है। सामान्य जन-जीवन से यह कब का बाहर हो चुका है। खपत का प्रतिशत मात्र 10 फ़ीसदी ही बताया जा रहा है।
यह हुए जीरो
ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर ने बेहद अच्छे दिन देखे। संक्रमण के कम होते मामलों ने दोनों का बाजार शून्य पर ला दिया है। संक्रमण का अंदेशा बना हुआ है, जैसी चेतावनी भी इसकी मांग नहीं उठा पाई है। लिहाजा अब इन्हें कंपनियों को वापस किए जाने के उपाय खोजे जा रहे हैं, लेकिन सफलता दूर है। रही बात कीमत की तो यह सभी,अधिकतम खुदरा विक्रय मूल्य पर उपलब्ध है।
उत्पादन सप्ताह में एक दिन
मांग में जोरदार गिरावट को देखते हुए संक्रमण से बचाव के साधन तैयार करने वाली इकाईयों ने उत्पादन के दिन घटाकर सप्ताह में 1 दिन ही काम करना चालू कर दिया है। वजह यह है कि बदलती स्थितियों में एक माह की मांग का उत्पादन, एक दिन में ही किए जाने की क्षमता, इकाइयों में लगी मशीनों की है। रही बात दवाइयों की तो इसका भी हाल ऐसा ही है।