कीट व्याधि के कारणों पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का खुलासा
बिलासपुर। अब पत्तियों का रूप- रंग देखकर जाना जा सकेगा कि खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की कमी हो रही है ? भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, पूसा ने अनुसंधान की रिपोर्ट साझा करते हुए बताया है कि सॉयल टेस्ट की सुविधा के बाद भी किसानों का एक बड़ा तबका अब तक पोषक तत्व की कमी को पहचान नहीं पाया है, इसलिए वे कीट प्रकोप का सामना कर रहे हैं।
कई तरह की बाधा को पार कर, फसल बालियां निकलने की अवस्था में पहुंच चुकीं हैं लेकिन कीट प्रकोप अंतिम बाधा बन रही है। हर साल, इस तरह की समस्या से दो-चार होते किसानों की यह समस्या दूर होने जा रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा ने इस विकट और विकराल होती समस्या के पीछे के कारणों पर अनुसंधान किया तो यह जानकारी सामने आई कि पोषक तत्व लगातार कम होते जा रहे हैं। इसकी वजह से ही कीट व्याधि फैल रही है। संस्थान ने अनुसंधान रिपोर्ट साझा करते हुए किसानों से कहा है कि पत्तियों की स्थितियों पर नजर रखें और समय मिलने पर पोषक तत्वों की कमी को दूर करें।
यह हैं पोषक तत्व
किसी भी फसल के लिए, जिन पोषक तत्वों को आवश्यक माना गया है उनमें फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटैशियम, मैग्निशियम, कैल्शियम, सल्फर, आयरन, मैग्नीज, जिंक, बोरान और तांबा मुख्य है। मिट्टी परीक्षण में इन तत्वों का खुलासा होता है और जरूरी उपाय या समाधान बताए जाते हैं ताकि जरूरी पोषक तत्वों की कमी पूरी की जा सके।
ऐसे पहचानें
नाइट्रोजन- पौधों की धीमी वृद्धि। आनुपातिक ऊंचाई में कमी। पत्तियों में पीलापन।
फास्फोरस- गहरे हरे रंग या पीली होती पत्तियां। कंसों की संख्या कम होना। कली और पुष्प की संख्या कम होना व शीघ्र कमजोर होना।
पोटेशियम- पत्तियों का मुड़ना। कमजोर तना। गोलाई में पत्तों का मुड़ते जाना। बढ़वार में कमी।
मैग्नीशियम- पुराने पत्तों में धब्बे। नोक से शुरू होकर बीच तक बढ़ते धब्बे, इस तत्व की कमी का संकेत देते हैं।
कैल्शियम- निकल रहीं नई पत्तियों का असामान्य होना। पत्तियों का आकार और दिखाई देती विकृति।
सल्फर- पीले और छोटे पौधे। नई पत्तियां भी इसी तरह के रंग में दिखाई देतीं हैं।
आयरन- नई पत्तियों की वाहिकाओं में हल्का पीलापन। अविकसित उत्तक। असमय गिरना और सूखना । सफेद रंग।
जिंक- पुरानी पत्तियों में पीलापन, बैंगनी रंग। पत्तों के बीच आनुपातिक दूरी का कम होना व मुड़ता हुआ दिखाई देना।
बोरान- पतियों की नोक में विकृति। पत्तों की धीमी बढ़वार। अविकसित उत्तक। दानों में विकृति।
तांबा- पत्तियों का सही तरीके से नहीं खुलना। अग्रभाग का पीला होना। नई वृद्धि में कमी।
पत्तियों की प्राकृतिक अवस्था में परिवर्तन से पोषक तत्वों के कम होने की पहचान की जा सकती है। इसलिए फसल की निगरानी के समय इस पर विशेष ध्यान रखें। समय पर समस्या का निदान संभव है।
- डॉ. युष्मा साव, सहायक प्राध्यापक, मृदा विज्ञान, टी सी बी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर