भाटापारा। भाटापारा नहीं, अब राजनांदगांव कृषि उपज मंडी किसानों को लुभा रही है क्योंकि समय पर कामकाज हो जा रहा है।
अव्यवस्था के साए में बीते एक पखवाड़े से कृषि उपज मंडी का संचालन हो रहा है। असर किसान, अभिकर्ता और खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयों पर पड़ रहा है अर्थ और समय की बर्बादी के रूप में। बचाव के उपायों के बीच उस राजनांदगांव कृषि उपज मंडी का नाम सामने आ रहा है, जहाँ न केवल भाव संतोषजनक बने हुए हैं बल्कि समय पर कामकाज हो जा रहा है।

इन जिलों की आवक हो रही कमजोर
बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, मुंगेली, कवर्धा, सांरगढ- बिलाईगढ़, बेमेतरा के साथ बलौदाबाजार जिले के कुछ हिस्से के किसानों की रुचि राजनांदगांव कृषि उपज मंडी ने बढ़ा दी है। यह इसलिए क्योंकि समयबद्धता को लेकर राजनांदगांव मंडी की पहचान पूरे प्रदेश में है। इसके अलावा प्रतिस्पर्धी खरीदी का माहौल लगभग पूरे साल होता है।

चिंता में पोहा मिलें
अव्यवस्था के बीच संचालित पोहा मिलों के सामने इस स्थिति ने तब दस्तक दी है, जब बारिश के दिनों के लिए भंडारण का काम शुरू ही हुआ है। ऐसे में भंडारण सीमा पर प्रतिकूल असर की आशंका से इनकार नहीं कर रहीं हैं पोहा मिलें। चिंता इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि नई परिस्थितियां किसानों को हमेशा के लिए भाटापारा कृषि उपज मंडी से दूर कर सकती है।

जरुरत स्थायी समाधान की
खरीफ और रबी, दोनों सत्र में आवक के दिनों में जैसी अव्यवस्था बनती है, उसे दूर करने की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे जिनमें पहली जरूरत श्रमिकों की संख्या में वृद्धि है। नहीं हो पाने की स्थिति में सोसायटियों की तर्ज पर व्यवस्था बनानी होगी। जिससे फिलहाल मंडी प्रबंधन इनकार कर रहा है। यही हठधर्मिता राजनांदगांव की राह खोल चुकी है।
पोहा मिलें अव्यवस्था से अब परेशान होने लगीं हैं। नई समस्या इसलिए दूरगामी असर दिखा सकती हैं क्योंकि भाटापारा मंडी छोड़ रहे किसानों को लौटा पाना कठिन होगा। इसलिए मंडी प्रबंधन को गंभीर कोशिश करनी होगी।
– रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मुरमुरा निर्माता कल्याण समिति, भाटापारा