बनते हैं जैम, जेली और आइसक्रीम


सतीश अग्रवाल

बिलासपुर। स्वाद खट्टा-मीठा। अनोखा इसलिए क्योंकि इसमें खुशबू भी होती है। नाम है ‘पैशन फ्रूट’। पहचान है कृष्णा फल और जुनून फल के रूप में। सबसे अच्छी बात यह है कि रोपण के दूसरे बरस ही फल लगने लगते हैं।

बागवानी फसलों में नवाचार की खोज करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर। पूर्वोत्तर राज्यों में पैशन फ्रूट की व्यावसायिक खेती में सफलता मिलने के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी इसकी खेती संभव हो चली है। खास तौर पर ऐसे क्षेत्र जहां की जलवायु समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय है। यह इसलिए क्योंकि ऐसी ही जलवायु में यह प्रजाति बेहतर बढ़वार और बेहतर उत्पादन देती है।

रोपण के दूसरे बरस ही फलोत्पादन

पैशन फ्रूट एक बेल वृक्षिय पौधा है, जो सहारा पाकर तेजी से बढ़ता है। समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु में बेहतर परिणाम देने वाली यह प्रजाति रोपण के 10 से 12 महीने के भीतर फल देने लगती है। परिपक्व पौधा प्रतिवर्ष 30 से 40 किलो फल दे सकता है। प्रयोग क्षेत्र की बात करें, तो पैशन फ्रूट की खरीदी जैम, जेली और आइसक्रीम बनाने वाली ईकाइयां कर रहीं हैं।

यहां सफल हुई व्यावसायिक खेती

उपयोग क्षेत्र में विस्तार को देखते हुए देश के पूर्वोत्तर राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में पैशन फ्रूट की व्यावसायिक खेती की जा रही है। इसे देखते हुए वानिकी वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड में ऐसी जलवायु वाले क्षेत्र पहचान की कोशिश करनी चालू कर दी है, जहां का तापमान लगभग पूरे साल गर्म रहता है। प्रारंभिक सर्वेक्षण में प्रदेश के मैदानी क्षेत्र को उपयुक्त माना गया है।

होते हैं यह औषधिय गुण

विटामिन सी की प्रचुरता प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। फाइबर की उच्च मात्रा पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है, तो कब्ज से राहत भी दिलाता है। पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंटस् हृदय को स्वस्थ रखते हैं। कम ग्लाईसेमिक इंडेक्स वाला पैशन फ्रूट को मधुमेह रोगियों के लिए राहत देने वाला माना गया है यही वजह है कि औषधि निर्माण इकाइयां इसकी खरीदी बड़ी मात्रा में कर रहीं हैं।

एक लाभकारी विकल्प

पैशन फ्रूट एक बहुपयोगी, पोषणयुक्त और बाजार में तेजी से उभरता फल है। इसकी खेती भारतीय कृषि में विविधता लाने के साथ-साथ किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन सकती है। विशेष रूप से बागवानी फसलों में नवाचार की तलाश कर रहे किसानों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर