भाटापारा। न प्रांगण की बदहाली दूर की जा सकी, न जाम से निजात मिली। आवक पर 3 दिन की रोक के बाद चौथे दिन खुली कृषि उपज मंडी फिर से अव्यवस्था के साए में नजर आ रही है।
कोशिश की थी व्यवस्था बहाली की लेकिन सफलता नहीं मिली। फलत: अंदर-बाहर दोनों क्षेत्र में बेतरह जाम के हालात हैं। परेशान है किसान, हताश और नाराज है कारोबारी क्योंकि समय पर कामकाज और उपभोक्ताओं की पहुंच में, जाम बड़ी बाधा बनी हुई है।

जैसा था, वैसा ही है
चालू माह के पहले सप्ताह में आवक एक झटके में बढ़ी। ले- देकर जैसे-तैसे काम करता रहा मंडी प्रशासन। हालात तब काबू से बाहर हुए, जब दूसरे सप्ताह चौतरफा आवक का दबाव बढ़ा। संभाल नहीं पाया मंडी प्रशासन इस आवक को। इसलिए विचार- विमर्श के बाद 16,17 और 18 मई की आवक पर रोक का फैसला लिया। तर्क दिया कि इस अवधि में जाम प्रांगण में आवक पर रोक से, खाली करवाया जा सकेगा लेकिन प्रयास असफल रहा। फलस्वरुप बदहाली अपनी जगह कायम है।

अब उठ रही यह मांग
भीषण गर्मी में प्रतीक्षा कर रहे किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन सोसाइटियों की तर्ज पर किसानों से भी सहयोग लेने में पीछे क्यों हट रहा है? हम तैयार हैं उतराई, कटाई, भराई जैसे श्रम साध्य काम के लिए। जवाब में मंडी प्रशासन का कहना है कि पूरे साल जिन श्रमिकों से काम लिया जाता है उन्हें काम से कैसे अलग करें ? इस जवाब को मंडी श्रमिकों का भी समर्थन मिलना बताया जा रहा है।

नाराज यह भी
मंडी प्रांगण के आसपास की व्यापारिक संस्थानें जाम से इसलिए नाराज हैं कि उपभोक्ताओं की पहुंच संस्थानों तक नहीं हो पा रही है। शहर इसलिए परेशान है क्योंकि जाम ने शहर के अंदरूनी हिस्सों में भी यातायात का दबाव बढ़ा दिया है। फलस्वरुप वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेना पड़ रहा है, जो बेहद सीमित है। इसलिए आंदोलन और धरना जैसे विचार बनने लगे हैं। नाराजगी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बढ़ती नजर आ रही है क्योंकि मौन है सभी।
श्रमिकों की संख्या कम इसलिए है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के काम चल रहे हैं। किसानों से सहयोग लेने में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं। प्रशासन से दिशा- निर्देश मांगे गए हैं।
– सी एल ध्रुव, सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा