लटक रहे ताले, उपयोग के लायक नहीं कमरें
भाटापारा। छत छोड़ते प्लास्टर और कमजोर होती दीवार। जर्जर दरवाजे। कॉरिडोर में गिरे हुए प्लास्टर के टुकड़े और धूल। एक हाॅल और कमरे तक पहुंचाने वाली सीढ़ियां भी कुछ ऐसी ही हालत में हैं। भूतल की स्थिति भी सही नहीं कहीं जा सकती क्योंकि यहां का सिर्फ हाॅल ही काम आ रहा है।
जी हां, यह कृषक- व्यापारी विश्रामगृह है, जिसकी याद अब आ रही है, मंडी प्रशासन को। यह इसलिए क्योंकि तेज गर्मी की वजह से किसानों को छांव की तलाश में भटकने की जानकारी मंडी प्रशासन को मिली। जैसे-तैसे करके भूतल में एक हाॅल को विश्राम के लायक ठीक किया गया। शेष भवन के मरम्मत की योजना अब जाकर मंडी प्रशासन बना रहा है।

आई सुध मरम्मत की
2 हाॅल और 4 कमरे वाला कृषक – व्यापारी विश्रामगृह मरम्मत मांग रहा है क्योंकि लगभग पूरा भवन देखरेख के अभाव में जर्जर हो चला है। दुर्दशा की स्थिति इस बात से ही जानी जा सकती है कि भूतल का एक हाॅल ही काम आ रहा है। शेष दूसरों में ताले लगा दिए गए हैं क्योंकि यह सभी उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं। तेज धूप, तीखी गर्मी और चौतरफा आवक को देखते हुए अब मरम्मत की योजना है।जरूरत इसलिए भी…

जरूरत इसलिए भी…
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून के पूर्वानुमान घोषित कर दिये हैं। ऐसे में बारिश के दिनों में कृषि उपज लेकर आने वाले किसानों की सुविधा के लिए मंडी प्रशासन ने कृषक-व्यापारी विश्रामगृह की मरम्मत को लेकर गंभीरता तो जाहिर कर दी है लेकिन इसमें मुख्यालय का कितना सहयोग मिलता है, यह देखने वाली बात होगी।ध्यान नहीं स्वच्छता की ओर

ध्यान नहीं स्वच्छता की ओर
बारिश के दिनों में जल-जमाव बरसों की दिक्कत रही है। इसके पीछे, बाहर और प्रांगण की नालियों की सफाई का नहीं होना बड़ी वजह मानी जा रही है। कोई बदलाव नहीं आया है इस स्थिति में। नालियां भरपूर जाम हैं। यह स्थिति बारिश के दिनों में कृषि उपज को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए बचाव के सभी सुरक्षागत उपाय करने होंगे।

कृषक विश्रामगृह भवन की स्थिति की जानकारी मुख्यालय भेजी जा चुकी है। स्थानीय स्तर पर भी प्रयास किये जा रहे हैं।
सी एल ध्रुव, सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा