जाने क्या है वृत्ताधिकारी, पुरात्तव एवं संग्रहालय
मध्यप्रदेश जबलपुर के लिखे पत्र में
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर स्थित मां महामाया का मंदिर इन दिनों मंदिर परिसर स्थित कुंड और कलपेरा तालाब में जाल में फंसकर मृत मिले 27 कछुओं को लेकर चर्चा में है। करीबन हजार साल पुरानी महामाया देवी मंदिर ऐतिहासिक महत्व की है। निजी स्वामित्व/सर्वराकार वाले महामाया देवी मंदिर को सरकारी संरक्षण देने की पहल देश की आजादी के करीब 29 साल बाद 18 दिसंबर 1976 को कार्यालय वृत्ताधिकारी पुरात्तव एवं संग्रहालय मध्यप्रदेश जबलपुर वृत जबलपुर (म.प्र.) द्वारा बेनीराम शर्मा सर्वराकार महामाया मन्दिर देवी रतनपुर को लिखे गए पत्र से शुरू हुई।
पढ़िए पत्र की तहरीर तस की तस
कार्यालय वृत्ताधिकारी
पुरात्तव एवं संग्रहालय
मध्यप्रदेश जबलपुर वृत जबलपुर (म.प्र.)
क्रमांक 388 जबलपुर दिनांक 18 दिसंबर 1976
प्रति
श्री बेनीराम शर्मा
सर्वराकार
महामाया मन्दिर देवी रतनपुर
पोष्ट आ० रतनपुर
जिला बिलासपुर मध्यप्रदेश
विषय :- महामाया मन्दिर रतनपुर जिला-बिलासपुर को संरक्षित स्मारक घोषित किये जाने बाबत् ।
महोदय
इस कार्यालय द्वारा महामाया मन्दिर रतनपुर जिला-बिलासपुर को संरक्षित स्मारक घोषित करने की कार्यवाही की जा रही है। शासकीय राजस्व अभिलेख में ( रिकार्ड ) महामाया मंदिर निजी सम्पति दर्ज है तथा आपको उसको सर्वकार बताया गया है।
महामाया रतनपुर जिला-बिलासपुर को उसके पुरातत्वीक महत्व के कारण शासकीय सरंक्षण में लिया जा रहा है अगर आपको इस संबंध में किसी प्रकार की आपत्ति है तो आपको उसकी लिखित सूचना शीघ्र इस कार्यालय को भेजें। अगर आपत्ति नही है तो इस पत्र के प्राप्त होते ही सूचित करने की कृपा करें कि शासन द्वारा इस स्मारक को राज्य संरक्षित घोषित किये जाने पर भूमि स्वामी (नाम) सर्वराकार को कोई आपत्ति न होगी ।
वृत्ताधिकारी
पुरातत्व एवं संग्रहालय
जबलपुर वृत्त जबलपुर
क्रमशः …
स्वामित्व मेरे ही नाम में रखकर घोषित करें संरक्षित स्मारक किसने कहा
गूगल में सर्च कर पढ़ते रहिए thecentralnews.in