नेचुरल थर्मल इंसुलेशन का गुण
बिलासपुर। यह बोतल स्वयं ही प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाती है। नेचुरल थर्मल इंसुलेशन का गुण पानी को अधिक समय तक ठंडा या गर्म बनाए रखने में मदद करता है। कीमत भले ही अधिक हो लेकिन बांस से बनी बाॅटल को जोरदार प्रतिसाद मिल रहा है।
आने वाले हैं गर्मी के दिन। बाॅटल मार्केट तैयारी कर रहा है लेकिन पहली बार बांस से बनी बाॅटल को होलसेल काउंटर में प्राथमिकता मिल रही है वह साफ संकेत दे रही है कि प्रकृति से जुड़ाव रखने वाली सामग्रियां इस बार जोरदार मांग में रहने वाली हैं।

इसलिए जोरदार प्रतिसाद
बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य में प्लास्टिक प्रदूषण गंभीर समस्या बना हुआ है। खूब मांग और खूब प्रदूषण फैलाने वाली प्लास्टिक की बोतलों को अब पहली बार बांस की बाॅटल से चुनौती मिल रही है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाते हैं। थर्मल इंसुलेशन का गुण इसे इसलिए भी अहम बना रहा है क्योंकि इसमें रखा पानी देर तक ठंडा या गर्म रहता है।

पहली बार बाजार का साथ
बांस की बाॅटलें प्लास्टिक के कचरे को कम करने का प्रभावी तरीका है। वैज्ञानिकों का निरंतर अनुसंधान और प्रयासों को पहली बार नीति नियंताओं और बाजार का साथ मिलता नजर आता है क्योंकि बांस आधारित कुटीर उद्योग को बढ़ावा मिलने लगा है, तो बाजार ने पहली बार बांस की बनी बाॅटलों की थोक खरीदी चालू कर दी है। बताते चलें कि प्रदेश में 28 बांस प्रसंस्करण केंद्र संचालन में आ चुके हैं, जहां बांस सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बना विश्व रिकॉर्ड
बेमेतरा जिले के कठिया गांव में 140 फीट ऊंचा बांस का टावर बनाया गया है। इसे दुनिया का सबसे ऊंचा बांस का टावर का खिताब मिल चुका है। इस पहल का उद्देश्य बांस के उपयोग को बढ़ावा देना और राज्य में बांस आधारित उद्योगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह प्रयास रंग लाने लगा है क्योंकि बाजार पहली बार गंभीरता से साथ दे रहा है बांस से बनी बाॅटलों की होलसेल खरीदी करके और प्रोत्साहित कर रहा है रिटेल मार्केट को।

हरित भविष्य की ओर कदम
बांस की बोतलें प्लास्टिक के कचरे को कम करने का एक प्रभावी तरीका हैं। बांस को सही नीति और बाजार समर्थन मिले, तो यह पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। बांस की बोतलों को अपनाना न केवल एक व्यक्तिगत जागरूकता का संकेत है, बल्कि “हरित भविष्य” की ओर एक बड़ा कदम भी है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर