आए दिन, तनाछेदक और भूरा माहो के…


बिलासपुर। मौसम है कीट प्रकोप का। शत्रु कीट में सबसे ज्यादा घातक भूरा माहो, तनाछेदक और पत्ती लपेटक तेजी से न केवल परिवार बढ़ा रहे हैं बल्कि हमला भी करने लगे हैं। नियंत्रण के उपाय फौरन करने होंगे।

बियासी का काम पूरा हो चुका है। समय है निगरानी और नियंत्रण के जरूरी उपाय का, लेकिन मौसम अब साथ दे रहा है ऐसे कीटों को, जो पूरी ताकत के साथ हमला करते हैं हालांकि शुरुआती चरण में ही हैं यह सब कीट लेकिन जिस गति के साथ फैलाव ले रहे है, उससे किसान ही नहीं, कृषि वैज्ञानिक भी हैरान हैं।

रोपाई के बाद तनाछेदक

स्टेम बोरर याने तनाछेदक। एकमात्र ऐसा शत्रु कीट है, जो रोपाई के एक माह बाद सक्रिय होता है। सक्रियता इतनी तेज होती है कि सीधे मुख्य तना पर हमला करता है।किसी भी अवस्था में फसल को नुकसान पहुंचाने वाला यह कीट, पौधे के मुख्य तना को खाता है।

बचाव के उपाय- रोपाई के 28 दिन के बाद ट्राईकोग्रामा जैपोनिकम का उपयोग करें।कारटैप हाईड्रोक्लोराइड या फिप्रोनिल या क्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव करें।

बेहद घातक कीट माहो

शत्रु कीट में सबसे घातक, माहो को माना जाता है। छह प्रकार का होता है यह कीट। हरा,भूरा, काला,सफेद और  मटमैला रंग का होता है यह कीट। हैरत की बात यह कि शिशु और वयस्क कीट, दोनों अवस्था में तना और पत्तियों का रस चूसते हैं। नतीजा फसल कमजोर होकर गिरने लगती हैं।

बचाव के उपाय- जल-जमाव नहीं होने दें।जल निकासी की मजबूत व्यवस्था करें।उर्वरक का छिड़काव फौरन बंद करें। इमिडाक्लोप्रिड,कार्बरिल का छिड़काव करें।छिड़काव करते समय नोजल, पौधों के तनों पर रखें।

छिपकर करता है हमला

पत्ता लपेटक या लीफ फोल्डर कीट। इस नाम से पहचान होती है  इस कीट की। जुलाई से अक्टूबर माह के बीच हमला करने वाला यह कीट, पत्तियों के दोनों किनारों के हरे हिस्से को खाता है। पत्तियों का झिल्ली की तरह नजर आने से इस कीट के प्रकोप को जाना जा सकता है।

बचाव के उपाय- खरपतवार की सफाई करें। मेड़ साफ रखें। क्विनलफॉस, क्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव मानक मात्रा में करें। कीटनाशक बेहद प्रभावी हों। इसका ध्यान रखना होगा।


किसान भाइयों को कीड़ों के प्रभावी नियंत्रण हेतु रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग तभी करना चाहिए जब अन्य सभी विधियां विफल हो गई हो। ऐसे कीटनाशकों का ही उपयोग करें जो प्रभावी और उपयोग दोनों में सुरक्षित हो।

डॉ. (श्रीमती) अर्चना केरकेट्टा, असिस्टेंट प्रोफेसर (एंटोंमोलॉजी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर