कलेक्टर की अदालत का फैसला
अब वारिसानों के नाम पर होगी जमीन
जशपुर। विदेशी नागरिक स्कूल के प्राचार्य ने भारतीय नागरिक होने की जानकारी देकर अनुमति लेकर आदिवासी जमीन खरीद ली. इस पर छग भू- राजस्व संहिता की धारा 170-ख के तहत चले वाद में आए फैसले में जमीन आदिवासी के वारिसान को लौटा दी गई है। वाद जमीन पर लोयला गवर्निंग बॉड़ी और कैथोलिक संस्था कुनकुरी का कब्जा है .
छत्तीसगढ़ में जशपुरनगर कलेक्टर डॉ रवि मित्तल की अदालत में छग भू- राजस्व संहिता की धारा 170-ख के तहत आदिवासी भूमि पर गैर आदिवासी के काबिज होने का मामला चल रहा था । अदालत में प्रस्तुत साक्ष्यों से साबित हुआ कि बेल्जियम निवासी एच गीट्स ने अनुसूचित जनजाति के किसान लगभग 5 एकड़ भूमि को खरीदने की अनुमति लेने खुद को कुनकुरी का निवासी बताया. बेल्जियम निवासी एच गिटस साल 1950 में कुनकुरी के लोयला गवर्निंग बाड़ी द्वारा संचालित स्कूल में प्राचार्य के पद पर कार्यरत थे। आदिवासी की जमीन खरीदने डिप्टी कमिश्नर रायगढ़ के समक्ष खुद को कुनकुरी का निवासी बताकर अनुसूचित जनजाति के सदस्य की जमीन को खरीदने की अनुमति लेकर भूमि क्रय कर लिया।
दस्तावेजों के अवलोकन से एच गिट्स के बेल्जियम निवासी व विदेशी नागरिक होने के बाद भी कुनकुरी निवासी होने की फर्जी जानकारी देकर आदिवासी किसान की जमीन खरीदने अनुमति ली थी, जिस जमीन पर वर्तमान में लोयला गवर्निंग बॉड़ी और कैथोलिक संस्था कुनकुरी का कब्जा है। कलेक्टर डॉ रवि मित्तल ने विदेशी नागरिक के द्वारा गलत जानकारी देकर जमीन खरीदी करने की अनुमति प्राप्त करना पाए जाने पर अनुमति के माध्यम से हुए संव्यवहार को शून्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही जमीन को भूमि स्वामी के उत्तराधिकारी वीरेंद्र लकड़ा को वापस करने का आदेश पारित किया गया है।