खेत में रखें सिर्फ़ 3 से 5 सेमी.पानी
रोपाई कर रहे किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
बिलासपुर। रोपाई के दौरान और रोपाई के बाद खेतों में जल भराव मानक मात्रा में ही करें। यह उपाय, खरपतवार और कीट प्रकोप जैसी प्राकृतिक विपदा से फसल को बचाने में सहायक होगा।
बादल और बारिश की मात्रा के साथ खेतों पर नजर रख रहे कृषि वैज्ञानिकों ने जल निकास के बाद अब भराव को लेकर आवश्यक जानकारियां किसानों को देते हुए सलाह दी है कि भराव उतनी मात्रा में करना होगा, जितने में खेतों में नमी दीर्घ अवधि तक बनी रहे।
कब कितना, भराव
रोपाई के दौरान खेतों में तीन से पांच सेंटीमीटर जल भराव को मानक मात्रा माना गया है। यह स्तर रोपाई के 15 से 20 दिनों तक बनाए रखने की सलाह किसानों को दी जा रही है। बाद के दिनों में कंसे निकलते हैं लिहाजा पानी की मात्रा उतनी ही रखें जितने में मिट्टी में नमी बनी रहे। इस अवधि में यदि बारिश नहीं हो रही हो, तो सिंचाई की व्यवस्था करनी होगी क्योंकि नमी तेजी से जाएगी और पौधों की बढ़वार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
इस समय करें
धान के पौधों में बालियां निकलने की अवस्था में सिंचाई पर ज्यादा ध्यान देना होगा क्योंकि बालियों के निकलने के बाद दूध से दाने बनने की प्रक्रिया चालू हो जाती है। इस दौरान खेतों में तीन से पांच सेंटीमीटर के मध्य जल भराव आवश्यक माना गया क्योंकि यही ऐसा समय है, जब पौधों को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पानी की यह मात्रा तय करने के बाद उत्पादन मानक मात्रा में हासिल किया जा सकेगा।
अधिक भराव से यह नुकसान
ज्यादा मात्रा और ज्यादा दिनों तक भराव के बाद पानी का तापमान बढ़ता है। इसका सीधा असर पौधों की जड़ों पर पड़ता है। ऑक्सीजन नहीं मिलने से जड़ें और पत्तियां काली पड़ने लगती हैं। इसके बाद पौधे कमजोर होने लगते हैं और सड़न या गलन जैसी अवस्था में पहुंचने लगते हैं। इसलिए अधिक भराव की जगह मानक मात्रा में ही जल भराव सही होगा।
खेत में कब रखें पानी
धान की बालियां बनने, फूल निकलने (85-90 दिनों बाद) और दाने बनते समय (115-120 दिनों बाद) खेत में 5 से 7 सेंटीमीटर जल भरा होना चाहिए। इन अवस्थाओं के अलावा बाकी समय में खेत में जल भरा रखने की आवश्यकता नहीं होती है। जल जमा होने पर फसल की बढ़वार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
डॉ. दिनेश पांडे, साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर