तपती धूप में छांव की तलाश

भाटापारा।  भूतल में एक बड़ा हॉल। प्रथम तल में चार कमरे लेकिन कृषक विश्राम गृह के नाम से पहचाने जाने वाले, इस भवन में ताला लगा हुआ है। यह तब, जब तेज धूप और भीषण गर्मी के दिन हैं। फलत: यहां-वहां बैठने के लिए विवश हैं किसान।

कृषि उपज मंडी भाटापारा। पहचानी जाती है कृषि उपज की वाजिब कीमत दिलाने के लिए लेकिन प्रांगण में जैसी सुविधाएं किसानों को मिलनी चाहिए, उसका अभाव अब सामने नजर आने लगा है। मौसम जैसा उतार-चढ़ाव ले रहा है, उसके बाद कृषक विश्रामगृह को फौरन खोले जाने की जरूरत समझी जा रही है।

पेड़ों की छांव या गाड़ियों की ओट

तेज धूप और भीषण गर्मी से बचने के लिए किसान प्रांगण में लगे वृक्ष और खड़ी गाड़ियों की ओट का सहारा ले रहे हैं लेकिन बोरियों के स्टेक और उपज की ढेर की वजह से, छांव वाली जगह तक पहुंचना कठिन हो रहा है। शेड तो है लेकिन उसके नीचे भी भंडारित उपज, सुकून की राह कठिन कर रही है। ऐसे में, उपज लेकर आने वाली भारी वाहनों की ओट लेने के लिए विवश हैं किसान।

ध्यान में है लेकिन…

तेज धूप, भीषण गर्मी और गर्म हवाएं। किसानों को झुलसता तो देख रहा है मंडी प्रशासन लेकिन व्यवस्था बहाली को लेकर दिलचस्पी नजर नहीं आती। माहौल ठीक नहीं है आसपास का, जैसे  तर्क रखने वाले अधिकारी इस सवाल का जवाब देने में पीछे हटते नजर आए कि स्टाॅफ तो भरपूर है फिर भी क्यों नहीं बनाई जा रही व्यवस्था ? ऐसी स्थितियों में किसान विवशता में छांव की तलाश कर रहा है।

सींखचों के पीछे

प्रदेश की बड़ी कृषि उपज मंडियों में शुमार की जाने वाली भाटापारा कृषि उपज मंडी में सत्र 2004-05 में कृषक विश्राम गृह बनवाया गया था। दो मंजिला इस भवन के भूतल में एक बड़ा हॉल और प्रथम तल में चार कमरे बनवाए गए। हर जरूरी सुविधाओं से लैस इस भवन के मुख्य द्वार में फिलहाल ताला लगा हुआ है। कब खुलेगा ताला? जैसे सवाल के जवाब नहीं मिल रहे हैं।

कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं। दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। बहुत जल्द किसानों को विश्रामगृह की सुविधा मिलेगी।
-एस एल वर्मा, सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा

By MIG