फिर जागा यातायात विभाग
भाटापारा। जारी है तीन सवारी के साथ दोपहिया का चलाया जाना। सर्वाधिक 18 प्रकरण ऐसे ही मामले के बनाए गए। 15 मामले हेडलाइट का आधा हिस्सा काला नहीं किए जाने के बने। आदेश की अवहेलना का पहली बार एक मामला बना।
चुस्ती और सुस्ती के बाद एक बार फिर से यातायात विभाग चुस्त होता नजर आया। छिटपुट जांच के बाद 29 अप्रैल को हुई जांच में यातायात नियमों की अवहेलना के 46 प्रकरण बनाए गए। देखना दिलचस्प होगा कि फौरी जांच के बाद कितना सुधार आता है।
मानने से इंकार
हेडलाइट का आधा हिस्सा काला नहीं होना। दोपहिया वाहन में तीन सवारियां। कुल 33 प्रकरण बनाए गए। महीने भर पहले ऐसी ही गतिविधियां सामने आई थी। अर्थ दंड वसूला गया था लेकिन फिर से बनते ऐसे प्रकरण यह बता रहे हैं कि नियम को मानने से इनकार कर रहे हैं बाइक चालक। ऐसे में और भी अधिक सख्त कार्रवाई की जरूरत समझी जा रही है।
यहां आ रहा सुधार
सघन जांच में मौके पर लाइसेंस नहीं होने के सात प्रकरण बने, तो बगैर दस्तावेज वाहन चालान के दो मामले सामने आए। दोनों मामलों में क्रमशः 2100 और 600 रुपये अर्थ दंड वसूले गए। विभाग का मानना है कि सघन और औचक जांच में ऐसे मामले घटते क्रम पर हैं। लिहाजा सुधार होता नजर आ रहा है। इसके बावजूद निगरानी में रहेंगी ऐसी गतिविधियां।

हमेशा जांच इनमें
बिना सुरक्षा बेल्ट के वाहन चालन और नो-पार्किंग में पार्किंग। जारी है यह गतिविधियां। दोनों मामले की जांच में महज दो प्रकरण ही सामने आए। समझाइश और फटकार के नतीजे ही माने जा रहे हैं, कम होती संख्या। नजर में विशेष तौर पर ऐसी जगह हैं, जहां बेतरतीब पार्किंग की जा रही है। इन मामलों में 800 रुपए का अर्थ दंड वसूला गया।
कम हो रहे यह मामले
समझाइश और सख्ती। यातायात पुलिस की यह कार्यशैली वाहन चालकों को रास आ रही है। महज एक प्रकरण आदेशों की अवहेलना का बनाया गया, तो बगैर नंबर के वाहन चालन का भी एक ही प्रकरण बना। सघन जांच के 46 प्रकरणों के साथ यातायात विभाग के खजाने में पहुंचे 14 हजार 200 रुपए। सुधार की हर संभव कोशिश की जा रही है।