90 फ़ीसदी सब्जियां लोकल, फिर भी तेज
बिलासपुर। केवल मुनगा, परवल और टमाटर ही महाराष्ट्र व दक्षिण भारत से। शेष सब्जियां स्थानीय बाड़ियों से। इसके बावजूद हरी सब्जियों की कीमत, क्रय शक्ति से बाहर जा चुकी है।
कीमत में उतार की संभावनाएं फिलहाल नहीं है। राहत के लिए दो माह प्रतीक्षा करने की बात कह रहा है थोक सब्जी बाजार। यह इसलिए क्योंकि तेज धूप और घटते भूजल स्तर की वजह से सब्जी का उत्पादन कम होने लगा है। ऐसे में मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ते क्रम पर है।

सहारा भाजी फसलों का
हरी सब्जियों में तेजी का जो दौर चल रहा है, उसके बाद भाजी फसलों की खरीदी को लेकर उपभोक्ता मांग बढ़ी हुई है। इसके साथ पत्ता गोभी, फूलगोभी, भिंडी, बरबट्टी, कुंदरू, करेला, कटहल सहित अन्य स्थानीय सब्जियों में मांग अपेक्षाकृत कमजोर ही है क्योंकि इसकी कीमत तेज मानी जा रही है। जो खरीदी निकली हुई है, उसमें मात्रा कम किए जाने की भी खबरें हैं।

बाहर से यह
मुनगा, परवल और टमाटर। यह तीन ऐसी सब्जियां हैं, जिनकी आवक, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत से हो रही है। शेष प्रजातियां स्थानीय सब्जी बाड़ियों से निकल रहीं हैं। कीमत को लेकर थोक बाजार का कहना है कि चिल्हर बाजार को परिवहन के अलावा अन्य खर्च ज्यादा देने पड़ते हैं इसलिए लाभ का प्रतिशत विवशता में बढ़ाना होता है।

प्रतीक्षा करें
थोक सब्जी बाजार स्वीकार कर रहा है कि खुदरा बाजार में कीमत, क्रय शक्ति को प्रभावित कर रही है। राहत तब ही मिलेगी जब मानसून के दिनों की सब्जी फसलों की आवक होगी। यानी कम से कम दो माह की प्रतीक्षा सब्जी उपभोक्ताओं को राहत के लिए करनी होगी। थोड़ी सी उम्मीद थोक बाजार से की जा रही है क्योंकि बाहर से आने वाली सब्जियों की आवक बढ़ाने के संकेत मिल रहे हैं।