मौसम का खुलना और खिली धूप ही कम कर पाएगा नुकसान
बिलासपुर। प्रतीक्षा अच्छी धूप की। तैयारी करें फिर से बोनी की। मार्गदर्शन के यह दो वाक्य, सब्जी किसान, स्वीकार तो कर रहे हैं लेकिन भारी मन से क्योंकि विकल्प है नहीं।
बीते फरवरी माह का मध्य भी ऐसा ही गुजरा था, जब तैयार सब्जी फसल के दौरान बारिश हुई थी। ले-देकर किसी तरह बोनी की थी। सब कुछ फिर से पटरी पर आ ही रहा था कि पुनः वैसे ही दिन से दो-चार हो रहे हैं सब्जी की खेती करने वाले किसान। उन किसानों पर प्रकृति की यह दोहरी मार है, जो केवल भाजी की ही खेती करते हैं।

नुकसान कुछ ऐसा
जहां बीज डाले जा चुके थे, वहां अंकुरण के पहले ही वर्षा जल का जमाव हो चुका है। वह क्यारियाँ जिनमें फसल तैयार हो चलीं थीं, वहां पानी निकासी की समस्या आ रही है क्योंकि अनुमान से ज्यादा पानी के बहाव का क्रम बना हुआ है। ऐसे में दो तरफा नुकसान का सामना करने के लिए विवश है, सब्जी की फसल ले रहे किसान। हानि सबसे ज्यादा भाजी फसलों को होगा क्योंकि इनमें गलन की प्रक्रिया सबसे पहले शुरू होती है।

खतरा इनमें ज्यादा
मौसम की यह मार सबसे ज्यादा गोभीवर्गीय फसल और टमाटर पर पड़ेगी क्योंकि सब्जी की यह प्रजातियां, ऐसे मौसम के प्रति सहनशील नहीं हैं। लिहाजा तैयार हो चुकी यह सब्जियां जल्द से जल्द बाजार तक पहुंचानी होंगी, नही तो गुणवत्ता खराब हो जाएगी। यह स्थिति सब्जी किसानों पर दोहरी मार, देने वाली होने जा रही है क्योंकि तुड़ाई, परिवहन और विक्रय के काम शीघ्र करने होंगे।

भारी मन से स्वीकार
प्रकृति की मार से सहमी सब्जी बाड़ियां विकल्प के अभाव में भारी मन से अच्छी धूप की प्रतीक्षा और फिर से बोनी करने की तैयारी की सलाह मान रहीं हैं। राहत केवल एक ही है कि सब्जी बीज की दरें फिलहाल स्थिर हैं। और हां, सब्जी फसलों को हो रहे इस नुकसान का खामियाजा, ऊंची कीमत पर सब्जी की खरीदी के रुप में उपभोक्ता को भी भुगतना होगा।

सावधानी आवश्यक
सब्जी फसलों को बचाने के उपाय बेहद सीमित हैं। जल-जमाव जैसी स्थितियां नहीं बनें इसके लिए निकास की व्यवस्था पुख्ता रखना होगा। सब्जी किसानों को सब्जी फसलों की खेती के लिए प्रजाति चयन में सतर्कता बरतनी होगी।
-डा. अमित दीक्षित, डीन, महात्मा गाँधी उद्यानिकी एवं वानिकी वि.वि., सांकरा, दुर्ग