स्वीट कॉर्न ग्लूकोज 65 रुपए किलो
बिलासपुर। स्वीट कॉर्न लिक्विड ग्लूकोज 65 रुपए किलो। दो बरस से स्थिर है यह कीमत। चालू सत्र में बढ़त की संभावना नजर नहीं आ रही क्योंकि मक्का की खेती का रकबा और उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में कन्फेक्शनरी आइटम निर्माण इकाइयों को लिक्विड ग्लूकोज की मनचाही मात्रा मिल रही है।
लिक्विड ग्लूकोज। पिपरमेंट और टॉफियों की आधार सामग्री है। निरंतर अनुसंधान के बाद, मक्का के दाने से भी लिक्विड ग्लूकोज बनाया जा रहा है। सुविधा में तब और भी बढ़ोतरी हुई, जब अपने प्रदेश में इसका उत्पादन करने वाली इकाई की स्थापना हुई । राजनांदगांव में स्थापित यह इकाई अब पूरे प्रदेश की जरूरत पूरी कर रही है।

दो साल से शांत
मक्का की खेती का बढ़ता रकबा। भरपूर उत्पादन और उच्चतम कीमत। यह तीन ऐसी वजह है, जिसकी वजह से स्वीट कॉर्न लिक्विड ग्लूकोज की कीमत ठहरी हुई है। 60 से 65 रुपए किलो पर स्थिर रहने से कन्फेक्शनरी आइटम प्रोडक्शन यूनिटों की निर्भरता, अब केरल जैसे राज्य से खत्म हो चुकी है क्योंकि मांगी जाने वाली मात्रा, कभी भी पूरा करने में सक्षम है प्रदेश की एकमात्र लिक्विड ग्लूकोज यूनिट।

आए दिन मांग के
वैसे तो स्वीट कॉर्न लिक्विड ग्लूकोज की डिमांड पूरे साल रहती है लेकिन इकाइयों में मांग, ग्रीष्मकालीन अवकाश के दिनों में खूब रहती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र भी कन्फेक्शनरी की बड़ी मांग वाला क्षेत्र बन चुका है। रही-सही कसर, हाट-बाजार से निकलने वाली मांग पूरी कर रही है। इसलिए लगभग हर शहर में कन्फेक्शनरी आइटम बनाने वाली इकाइयां चालू हो चुकीं हैं।

पहली बार यहां से मांग
लिक्विड ग्लूकोज से पिपरमेंट और टाॅफियां बनाने के बाद, अब स्वीट कॉर्नर और मिठाई दुकानें भी इसका उपयोग करने लगीं हैं। शुरुआत फिलहाल लड्डू से की जा चुकी है। जिसका परिणाम आशा के अनुरूप रहा है। इसलिए लड्डू की दूसरी किस्म, जैसे सेव, मुरमुरा और लाई के भी लड्डू बनाने में किया जा रहा है। बाजार सूत्रों के अनुसार इसकी मदद से बने लड्डूओं में मिठास भी ज्यादा आई, तो सेल्फ लाइफ भी बढ़ गई।